कीड़े प्रकाश की ओर क्यों आकर्षित होते हैं?

हम सब ने कभी न कभी बिजली के बल्बों, लालटेनों इत्यादि पर मंडराते हुए कीटों को देखा है। न केवल ये विलक्षण जंतु प्रकाश पर मंडराते हैं, बल्कि मोमबत्तियों, दीयों, मशालों आदि में जल कर मर भी जाते हैं। तो क्यों ये कीट प्रकाश की ओर इतने आकर्षित होते हैं के अपना जीवन भी उसमे झोंक देते हैं?

दरअसल न केवल कीड़े बल्कि सभी पशु पक्षी, पौधे, और यहां तक की हम मनुष्य भी प्रकाश से प्रभावित होते हैं। और प्रकाश के अनुसार आचरण करने को प्रकाशानुवर्तन कहा जाता है। पौधे प्रकाश के स्रोत की ओर बढ़ते हैं, और विभिन्न वन्य जंतु भी सूर्य के प्रकाश के आधार पर ही जीवन व्यतीत करते हैं। अधिकतर जानवर प्रकाश से आकर्षित होते हैं। कीट सामान्यतयः प्रकाश के स्त्रोत की ओर गमन करते हैं। वे ऐसा क्यों करते हैं इसके बारे में कुछ वैज्ञानिक अनुमान ही हमारी सारी जानकारी का आधार हैं। संभव है वे ऐसा अपने वातावरण को देख पाने के लिए करते हों, या फिर प्रकाश की उपस्थिति में अपनी क्रीड़ाओं के प्रदर्शन से मादाओं को आकर्षित करने का प्रयास करते हों। विश्वास के साथ इसका उत्तर दे पाना कठिन है।

हालांकि अनेक शोध और अध्ययन के आधार पर वैज्ञानिक ये तो निश्चित रूप से कह सकते हैं के प्रकाश स्रोत में आत्महत्या का कीटों के पास कोई कारण नहीं, और ये केवल मनुष्य द्वारा प्रकृति की एक प्रक्रिया पर पड़ने वाला प्रभाव है।

कीड़ों की सहज वृत्ति प्राकृतिक प्रकाश स्रोतों पर आधारित है। जैसे की चन्द्रमा और सूर्य का प्रकाश। ये स्रोत स्थिर होते हैं और कीड़े इनकी ओर  बिना किसी भूल के उड़ सकते हैं। कृत्रिम स्रोत जैसे की मोमबत्ती का प्रकाश निरंतर हिलता रहता है, जो की इन कीड़ों को भ्रमित कर देता है, और इसीलिए प्रकाश के स्रोत के बजाय वे कभी कभी जलती हुई आग में प्रवेश कर जाते हैं।

परन्तु सभी जीव जंतु प्रकाश की और आकर्षित हों ये भी कतई ज़रूरी नहीं है। बहुत से जंतु प्राकृतिक रूप से प्रकाश से घृणा भी करते हैं
प्रकाशनुवर्तन दो प्रकार का होता है। एक जिसमे जंतु प्रकाश के प्रति आकर्षित होते हैं या जिसे धनात्मक प्रकाशनुवर्तन कहा जाता है। और दूसरा इसका उलट यानि ऋणात्मक प्रकाशनुवर्तन जिसमे जंतु प्रकाश के स्रोत से दूर जाना चाहते हैं जैसे की खटमल। मनुष्यों में मस्तिष्क के क्रमिक विकास और बुद्धि की उत्तमता के कारण हम पर इन मौलिक प्रवृत्तियों का कोई विशेष असर नहीं होता, परन्तु अन्य जीवों में ये प्रवृत्तियां साधरणतया निरंकुश ही होती हैं।