Si पद्धति में मूल राशियों के संकेत तथा मात्रक

माप- तोल विभाग द्वारा सन् १९६० में एक सम्मलेन में यह बात रखी गयी की एक सार्वभौमिक पद्दति होना चाहिए | अर्थात एक ऐसी पद्धति का होना जरूरी है जो की सम्पूर्ण विश्व में मान्य हो, इसी के तहत एस. आई. पद्धति (मीटर-किलोग्राम-सेकण्ड़ प्रणाली) का निर्माण किया गया | इसे ही मात्रकों की अन्तराष्ट्रीय प्रणाली के नाम से जाना जाता है |

क्यूंकि अब भूमंडलीकरण के दौर में पूरा विश्व एक साथ नजर आता है, ज्यादा से ज्यादा चीजों का आयात और निर्यात हो रहा है | ऐसे में हर देश की अपनी मात्रक प्रणाली एक अवरोध पैदा कर रही थी जिसका समाधान एस. आई. पद्धति द्वारा निकाला गया |

हम जानतें है की कुछ मूल राशियां होती है जिनके मूल मात्रक होतें है | और इन्ही मूल राशियों की सहायता से व्युत्पन्न राशियां तथा मूल मात्रकों की सहायता व्युत्पन्न मात्रकों का निर्माण होता है |

इसी प्रकार एस. आई पद्धति में कुछ मूल राशियों के मूल मात्रक –

यूँ तो यह सात प्रकार के होतें है परन्तु इसमें २ पूरक मात्रक भी सम्मिलित होतें है |

चाल का si मात्रक :-

चाल बराबर दूरी/समय, अतः इसका SI मात्रक मी./से. होता है |

समय का si मात्रक  

समय का SI मात्रक सेकेण्ड होता है, यह एक मूल मात्रक है| इसे s से प्रदर्शित करतें है |

दूरी का si मात्रक 

लम्बाई (दूरी) का SI मात्रक मीटर होता है, इसे m से प्रदर्शित करतें है तथा यह एक मूल मात्रक है

त्वरण का si मात्रक 

त्वरण (acceleration) का SI मात्रक मी/से^ २ होता है, यह व्युत्पन्न मात्रक है |

वेग का si मात्रक 

वेग (velocity ) का SI मात्रक मी./से.होता है, यह भी एक व्युत्पन्न मात्रक है |

ध्रुव प्रबलता का si मात्रक 

ध्रुव प्रबलता का SI मात्रक एम्पियर-मीटर होता है |

 विद्युत् धरा का si मात्रक 

विद्युत धारा का SI मात्रक ऐम्पियर होता है, इसे a से प्रदर्शित करतें है तथा यह एक मूल मात्रक है |

 ताप का si मात्रक 

ताप का SI मात्रक कैल्विन होता है, इसे k से प्रदर्शित करतें है तथा यह एक मूल मात्रक है |

 द्रव्यमान का si मात्रक 

द्रव्यमान का SI मात्रक किग्रा. होता है, इसे kg से प्रदर्शित करतें है तथा यह एक मूल मात्रक है |