मापन की परिभाषा

किसी भी राशि {भौतिक राशि } को सही तरीके से मापने के लिए परिमाण तथा उसके मानक मात्रक का होना जरूरी होता है | लम्बाई, समय, तापमान पदार्थ की मात्रा विद्युत धारा, द्रव्यमान, तथा ज्योति तीव्रता आदि भौतिक मूल राशियों को मापने के लिए जिन मानक यंत्रों का इस्तेमाल होता है, मात्रक कहलातें है | तथा  त्वरण, वेग इत्यादि व्युत्पन्न राशियों(जो की मूल राशियों के द्वारा उत्पन्न होती है ) को प्रदर्शित करने के लिए जो मात्रक उपयोग किये जातें है व्युत्पन्न मात्रक कहलातें है |

तथा मूल और व्युत्पन्न राशियों को व्यक्त करने के लिए ही मात्रकों की पद्दति का उपयोग किया जाता है |

हर प्रकार के राशियों को मापने के लिए अलग-अलग मात्रक उपयोग किये जातें है| उदाहरण के लिए अगर आपको छोटी दूरी का मापन करना है तो आप इसके लिए स्केल का उपयोग करेंगे| अथवा अगर आपको अत्यंत महीन(सूक्ष्म) दूरी का मापन करना है तो आप वर्नियर कैलिपर्स या स्क्रुगेज या फिर स्फेरोमीटर का उपयोग करेंगे| और यदि आपको बहुत लम्बी दूरी (जैसे – चंद्रमा की धरती से दूरी ) का मापन करना है तो आप लंबन विधि का इस्तेमाल करेंगे|

दूसरा उदाहरण- मान लिजिएकी आपको किसी भी भौतिक राशि का द्रव्यमान पता करना है तो उसके लिए आप तुला का उपयोग कर सकतें है | यहं पर जो मानक लिया गया है वो है द्रव्यमान|

अतः किसी भी राशि के मापन का तात्पर्य होता है, उस वस्तु की मानक मात्रक से तुलना करना और उसका संख्यात्मक मान निकालना |