चिकनगुनिया रोग क्या है? what is Chikungunya in hindi

यह एक प्रकार का अतिकष्टदायक बीमारी है जो कभी-कभी मरीज का जान भी ले लेता है चिकनगुनिया का अर्थ होता है ” झुक जाना” , जिस व्यक्ति को यह बीमारी होती है वह झुक जाता है यह बीमारी  Adice Ajepty ( एडिस अजेप्टी ) तथा Adice Albopictus ( एडीस अल्बोपिक्टस ) नामक
मच्छर के काटने से होता है जब यह मच्छर काटते हैं तो अपने लारवा के माध्यम से वायरस छोड़ते हैं जो व्यक्ति के शरीर में जाकर व्यक्ति को संक्रमित कर देता है। यह कोई छुआछूत की बीमारी नहीं है बल्कि जब  मच्छर संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो अपने लारवा द्वारा इस virus को स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में छोड़ देता है जिससे वह व्यक्ति भी इस रोग से संक्रमित हो जाता है। विश्व में सबसे पहले चिकनगुनिया सन् 1995 में दक्षिण तंजानिया में पाया गया था तथा भारत में सबसे पहले 2010 में दिल्ली में देखा गया था और फिर इसके बाद यह बीमारी लोगों पर हावी होता गया।

Etiology ( कारण) :
चिकनगुनिया होने का मुख्य कारण एडिस तथा अल्बोपिक्ट्स प्रजाति के मच्छरों द्वारा काटना है। वैसे व्यक्ति जो सूअर के खोभाड़  के आसपास रहते है अथवा  बहुत गंदगी मैं जीवन व्यतीत करता है उसको यह बीमारी कुछ ज्यादा ही होता है। चिकनगुनिया के मच्छर अधिकतर दिन के समय काटते हैं और लोगों में संक्रमण फैलाते हैं।

Symptoms (पहचान ) :
इस बीमारी में तीव्र बुखार आने लगता है। जोड़ों में अधिक दर्द होने लगता है। व्यक्ति झुक जाता है। उठने बैठने में तकलीफ होना। उल्टी व मतली आना। थकान महसूस होना। सिर दर्द होना तथा त्वचा पर लाल चकत्ते आना इत्यादि इस रोग का पहचान है डायबिटीज तथा बीपी से ग्रस्त लोगों में चिकनगुनिया अधिक समस्या पैदा कर सकता है इस समस्या से बचने के लिए अपना सही इलाज करवाएं और चिकनगुनिया से बचें।

Manegement ( निवारण ) :
चिकनगुनिया से बचने के लिए मच्छरों के काटने से स्वयं की सुरक्षा करें तथा मच्छरदानी का उपयोग करें। अपने शरीर को हाइड्रेड रखें। अपने घर के आसपास सफाई का पूरा ध्यान रखें, बरसात का पानी जमा न होने दें। बुखार और दर्द को कम करने के लिए टीलेनोल या पेरासिटामोल जैसी दवा का सेवन करें। चिकनगुनिया  रोकने के लिए अभी तक कोई टीका का उपचार उपलब्ध नहीं हुआ है अतः अपनी सुरक्षा स्वयं करें। चिकनगुनिया होने पर अपने दिनचर्या में बदलाव करें। हेल्दी डाइट के साथ भरपूर कैल्शियम लेना चाहिए तथा दाल और फलों का सेवन करें। सुपाच्य भोजन करें।