हीमोफिलिया रोग रक्त विकार से सम्बन्धित एक ऐसी बीमारी है, जिसमे किसी व्यक्ति के खून के प्राक्रतिक रूप से थक्के बनने की क्षमता ना के बराबर होती है, एवं चोट आदि लगने पर अत्यधिक मात्रा में आंतरिक एवं बाह्य अंगो में रक्त स्त्राव होने लगता है| यह एक आनुवंशिक एवं जटिल रोग है, जिससे हजारो लोग प्रभावित है, एवं बहुतो की मृत्यु भी हो जाती है|
हीमोफिलिया से ग्रसित रोगी में क्लोटिंग नामक प्रोटीन की कमी होती है, जो बहते हुए रक्त को नियंत्रित करने में सहायता करता है| मुख्य रूप से हीमोफिलिया रोग को दो भागो में बांटा गया है:-
- हीमोफिलिया ए
- हीमोफिलिया बी
हीमोफिलिया रोग के लक्षण:
यदि माता-पिता में से किसी को भी हीमोफिलिया रोग हो, तो संतान को यह रोग होने की सम्भावना होती है| हीमोफिलिया ए एवं हीमोफिलिया बी दोनों के समान लक्षण होते है:-
- शरीर पर चोट के निशान होना, जिनसे रक्तस्त्राव होते रहना
- मांसपेशियों एवं जोड़ो में दर्द एवं ऐठन होना एवं कई बार उनमे रक्तस्त्राव होना
- शल्यचिकित्सा के दौरान या बाद में अत्यधिक रक्तस्त्राव होना
- चोट लगने एवं कोई जखम होने पर समान्य से ज्यादा खून का बहना
- जोड़ो में सूजन आना एवं चलने-फिरने में समस्या होना
हीमोफिलिया रोग का उपचार:
आधुनिक युग में हीमोफिलिया रोग के इलाज के लिए काफी प्रभावशाली एवं कारगर इलाज संभव है| इसके अंतर्गत अत्यधिक रक्त स्त्राव को रोकने के लिए क्लोटिंग प्रोटीन को इंजेक्शन के माध्यम से शरीर में डाला जाता है, जिससे खून का बहना बंद हो जाता है|
हीमोफिलिया रोग का जड़ से इलाज संभव नहीं है, किन्तु रक्तस्त्राव के दौरान रोगी को बचाया जा सकता है| इसके अंतर्गत रोगी को कई परामर्श दिए जाते है, जिससे चोट लगने की सम्भावना कम से कम हो, पंरतु फिर भी समय-समय पर चिकित्सिक परामर्श अनिवार्य है|
उपचार कब आवश्यक है:-
हीमोफिलिया एक गंभीर रोग है, जिसका इलाज एवं रोकथाम अति-आवश्यक है| समय पर इलाज न मिलने पर रोगी शारीरिक रूप से विकलांग हो सकता है या उसकी मृत्यु भी हो सकती है| इसमें एस्प्रिन जैसे दवाई का प्रयोग निषेध है|
निम्न परिस्थितियों में इलाज शुरू कर देना चहिये:-
- यदि जोड़ो एवं मांसपेशियों में अचानक से रक्तस्त्राव होने लगे
- यदि सिर, गर्दन, मुहं या आँखों में चोट लग जाये
- जोड़ो में असहनीय दर्द एवं सिर में दर्द होने पर
- किसी चिकित्सा के कारण अत्यधिक रक्त स्त्राव जैसे कि, दन्त चिकित्सा आदि
- जोड़ो में सूजन एवं अत्यधिक पीड़ा होने पर
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