हमें सपने क्यों आते हैं। Why do we dream in Hindi

यह सवाल कितना जटिल है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकतें है की, सपनों के अध्यन के लिए शोध्कर्ताओं की एक अलग शाखा होती है जिसे “ओनैरोलोज़ी” कहतें है । सपनों को समझ पाना वाकई काफी मुश्किल होता है, किसी सामान्य जन के लिए भी और एक वैज्ञानिक के लिए भी। किसी भी प्रयोग में जब लोंगो से पूछा जाता है की आपने सपने में क्या देखा तो जबाव हमेशा अविश्वसनीय होता है।वास्तव में औसतन कोई भी इंसान उठने के १० मिनट बाद अपने सपने के ९० प्रतिशत को भूल चूका होता है।

इसलिए जब आप जागतें है तो आपको कुछ झलक मात्र याद रहतीं है, और आप याद करने का प्रयत्न करतें है कि आखिर आपने सपने में क्या देखा ।

जब आप सोते हैं तो आपकी केवल दो अवस्था हो सकती है-

१- तीव्र नेत्र संचलन

२- गैरतीव्र नेत्र संचलन

अगर आप किसी सोते हुए व्यक्ति के दिमाग कि विद्युतीय गतिविधि को देखो तो आप विचित्र चीजों का अनुभव करेंगे । शोधकर्ताओं ने यह पता लगया कि जब आप जागे हुए होते हो तब आपके दिमाग में जो हलचल होती है वैसी ही हलचल तब होती है जब आप तीव्र नेत्र संचलन की अवस्था में सोये हुए सपने देख रहें होतें है।इसका मतलब तीव्र नेत्र संचलन कि अवस्था में आपका मस्तिष्क अच्छी- खासी ऊर्जा का इस्तेमाल कर लेता है, जबकि हम कहतें है कि मस्तिष्क को आराम दे रहें है। परन्तु सोते समय कुछ ऐसे रसायन जैसे – हिस्टामिन,सेरोटोनिन नहीं निकलते जिस कारण जब आप सपना देखतें है तो अलग-अलग भावनाओं को महसूस कर पातें है पर आपकी शरीर नहीं हिलता है। लेकिन कुछ लोगों में कभी-कभी इन रसायनों का संतुलन बिगड़ जाता है और उनका शरीर हिलने लगता है, कुछ लोग तो नींद में चलते भी है जिसे हम स्वप्नाटन कहतें है तथा शोध में यह पता चला है कि हम तीव्र नेत्र संचलन की अवस्था में सपने देखतें।

अतः आप दिन के समय में जो भी करतें है या देखतें वो आपके मस्तिष्क में याददस्त कि तरह संचित हो जाता है, आपका अचेत मस्तिष्क सोने के समय में उन यादों को जाँच कर व्यवस्थित करता है , और उनके बीच में जो सम्बन्ध होतें है उनको मजबूत करता है तथा आपकी बेकार यादों को मिटा देता है ताकि हम अगले दिन उस याददास्त को और भी सही तरीके से इस्तेमाल कर सकें। जब ये सारी घटनाएं चल रहीं होती है तो आपका सचेत मस्तिष्क समझ नहीं पाता कि क्या हो रहा है? और जब यादें व्यवस्थित हो रही होती है तो आपको कुछ यादृच्छिक [अव्यवस्थित] छवियां दिखाई देतीं है और आपका सचेत दिमाग इन यादों से एक अर्थ निकलने कि कोशिश करता है, और इस तरह हम सपने देखतें है ।