हमें छींक क्यों आती है

sneezing

छींक आना शरीर की एक प्रक्रिया में से एक है, मगर कई सभ्यता और देशों में इसे अच्छे बुरे संकेतों के रूप में भी माना जाता है। छींक से जुड़ी कई मान्यताएं है। भारत में छींक को बुरा संकेत माना जाता है, शुभ कार्य के दौरान कोई छींक दे तो उसे अशुभ संकेत माना जाता है।

इसी वजह से कई बार लोग छींक को आने से रोकते हैं, मगर हमें यह समझना होगा कि छींक का आना शरीर की एक सामन्य क्रिया है जिसे रोकना नहीं चाहिए। यदि आपके दिमाग में यह प्रश्न उठ रहा है कि आखिर यह छींक आती क्यों है तो आइये इसका जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं।

छींक आना वैसे तो एक सामन्य प्रक्रिया है मगर कभी इसके आने का कारण सर्दी, जुकाम, एलर्जी या अन्य तरह की बीमारी भी हो सकती है। मगर सिर्फ यही वजह नहीं है जिसकी वजह से छींक आती है, इसके अलावा भी कई वजह है।

दरअसल छींक हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता का ही एक भाग है, इस क्रिया में मुंह एवं नाक के द्वारा फेंफडों से हवा सीधे बाहर निकल जाती है।

दरअसल जब सांस लेने के दौरान ऐसा कोई कण नाक में प्रवेश कर जाता है जिससे खुजली या झिल्ली में सुजन आने लगती है, नाक यह संदेश हमारे दिमाग को देता है और फिर दिमाग हमारी  मांसपेशियों को इन्हें शरीर से बाहर फेंकने का आदेश देता है, और फिर छींक के जरिये ऐसे हानिकारक कणों को शरीर से बाहर फेंक दिया जाता है।

आपको यह जानकर हैरानी होगी की इस छींक की प्रक्रिया में शरीर के कई अंग हिस्सा लेते हैं, जैसे पेट, छाती, डायफ्राम, गला और आँखें मिलकर इस प्रक्रिया को संपन्न करते हैं। और शरीर को नुकसान पहुँचाने वाले कणों को शरीर से दूर कर देते हैं।

छींक के बारे में रौचक बात यह भी है कि एक छींक की गति 100 मील प्रति घंटा होती है। और इसके साथ करीब एक लाख कीटाणु शरीर से बाहर हो जाते हैं। सोते समय छींक नहीं आती इसकी वजह यह है की उस दौरान वे सभी नसें जिससे छींक जैसी स्थिति बनती है वे आराम की अवस्था में होती है।