क्या विटामिन D की कमी से हो सकता है, बुजुर्गों में तनाव? | Deficiency of vitamin D in Hindi

क्या है, विटामिन D?

विटामिन D शरीर के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है, जो हमे सूर्य के प्रकाश एवं भोजन से प्राप्त होता है|

हाल ही में हुए अध्ययनों में वैज्ञानिकों ने यह बात साबित की, कि विटामिन D के अभाव में शरीर कई तरह की बीमारियों से ग्रसित हो जाता है, एवं बढती उम्र के साथ-साथ विटामिन D की कमी के घातक परिणाम हो सकते है|

हाल ही में हुए शोध में पेनकोफर नामक लेखक ने अपनी रिसर्च में इस बात का पता लगाया की, विटामिन D अनेक प्रकार के रोगों जैसे, दिल की बीमारी, तनाव, सोचने समझने की शक्ति, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, जोड़ों में दर्द आदि के लिए जिम्मेवार होता है, एवं यदि यह पर्याप्त मात्रा में आपके शरीर में मौजूद है, तो इन बीमारियों एवं अन्य कई स्वास्थ्य सम्बन्धित समस्याओं से लड़ने में सहायक होता है|

कैसे होती है, विटामिन D की कमी?

भोजन में जरूरी तत्वों की कमी एवं सूर्य के प्रकाश से वंचित रहना विटामिन D की कमी का प्रमुख कारण है| विटामिन D को हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक माना जाता है, यह शरीर में मौजूद कैल्शियम का अवशोषण करके उसे अन्य भागों तक पहुचाता है एवं शरीर की सभी कोशिकाओं को स्वस्थ रखने का कार्य करता है|

इससे हड्डियों को मजबूती मिलती है, एवं जोड़ो में सूजन या दर्द की सम्भावना भी कम रहती है| यह शीघ्रता से वसा में घुल जाता है एवं सूर्य की रोशनी में बैठने पर शरीर अपने आप इसका निर्माण करता है एवं प्रतिपूर्ति करता है|

विटामिन D की कमी के लक्षण:

यह बात स्मरण रखने योग्य है कि भोजन से केवल दस प्रतिशत तक विटामिन D की कमी की पूर्ति होती है, शेष नब्बे प्रतिशत कमी सूर्य द्वारा होती है, इसलिए यदि आप ऐसा भोजन करते है, जिसमे विटामिन D हो परन्तु सूर्य से वंचित है तो आपके शरीर में विटामिन D की कमी होना स्वाभाविक है, जिसके महत्वपूर्ण लक्ष्ण इए प्रकार है:-

हड्डियों में कमजोरी आना एवं जोड़ो में दर्द रहना

असमय बालों का झड़ना

पाचन क्रिया का कमजोर पड़ना

उदास एवं तनावग्रस्त रहना

बार-बार बीमार पड़ना या संक्रमित होना आदि|

बुजुर्गों में विटामिन D की कमी के कारण:

आधुनिक युग में बुजुर्गों में विटामिन D की कमी के अत्यधिक मामले सामने आये है, जिसमे यह तथ्य उजागर हुआ की, वृद्ध लोगों को सही आहार न मिलने एवं उनकी शारीरिक हालत कई बार ठीक न होने के कारण वे सूर्य के प्रकाश से वंचित रह जाते है, जिससे विटामिन D की काफी कमी हो जाती है|

बुजुर्गों में विटामिन D की कमी अवसाद का रूप धारण कर लेती है, जिससे उनका किसी कम में मन नही लगता एवं तनावपूर्ण स्थिति बन जाती है एवं कई प्रकार के रोग उनके शरीर को घेर लेते है, जैसे थकान अनुभव करना, जोड़ो में दर्द एवं सूजन, उदास रहना, घाव का जल्दी न भरना एवं पाचन सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ता है|

उपरोक्त लक्षण नजर आने पर जाँच के द्वारा विटामिन D की कमी का पता लगाया जा सकता है एवं उम्र के मुताबिक डाक्टर की सलाह से दवाई का सेवन शुरू किया जाना चाहिए|

विटामिन D की कमी से बचाव के उपाय:

विटामिन D की कमी को दूर करने का सबसे अच्छा उपाय सूर्य की रोशनी में 20 से 30 मिनट तक बैठना है, यदि गर्मियों का मौसम है तो आप सुबह उगते सूर्य की किरणों में बैठे एवं सर्दियों में आप किसी भी समय सूर्य की रोशनी में बैठ सकते है|

इसके साथ ही विटामिन D से युक्त आहार जैसे दूध, पनीर, मछली, अंडे, मशरूम आदि का सेवन करे| लीवर या किडनी के रोगी विटामिन D की कमी से जल्दी प्रभावित होते है, अत: लीवर को ठीक करने हेतु आवश्यक दवाइयों का सेवन करे|

बुजुर्ग लोगों का विशेष रूप से ध्यान रखा जाये एवं उन्हें रोजाना धूप में थोड़ी देर बिठाया जाए| इसके साथ ही विटामिन D की अत्यधिक कमी खतरनाक साबित हो सकती है, इसलिए विशेषज्ञ की सलाह की सलाह से इससे सम्बंधित सप्लीमेंट्स एवं दवाइयों का सेवन अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए|

विटामिन D की अधिक कमी होने से बच्चों को अस्थमा, वयस्कों में कैंसर, बाँझपन, एवं ओस्टियोमलेसिया नामक बीमारी हो सकती है| इसमें पांच वर्ष के बच्चो में विटामिन D की कमी होने के ज्यादा संकेत मिलते है इसलिए उनका खास ख्याल रखा जाना चाहिए|