कैसे बनी फेसबुक How Facebook was created?

सोशल मीडिया का जाना पहचाना स्त्रोत है- फेसबुक। आज के समय में युवाओं में फेसबुक सर्वाधिक प्रचलित है। अपने पुराने साथियों से जुड़े रहने व दुनियाभर में भिन्न-भिन्न लोगों से सामाजिक सम्बन्ध स्थापित करने में फेसबुक सहयोगी सिद्ध होती है।

सन् 2004 में हार्वर्ड के एक विद्यार्थी ने यह एप बनाई थी, जिनका नाम है- मार्क जुकरबर्ग। शुरुआत में एप का नाम “द फेसबुक” था। उस दौर में यह स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थियों में धीरे-धीरे उपयोग में लाई जाने लगी व इसके बाद पूरे यूरोप में इसका प्रचलन बढ़ गया। सन् 2005 में इसका नाम “फेसबुक” कर दिया गया तथा आज भी इसी नाम से प्रचलित है। आज विश्व भर में फेसबुक का प्रयोग जोर-शोर से हो रहा है और इसकी विशेषता यह है कि इसे विभिन्न भाषाओं में उपयोग करने के विकल्प भी उपलब्ध है।

फेसबुक के संस्थापक:

मार्क जुकरबर्ग इसके प्रमुख संस्थापक हैं तथा इनके साथ सहयोगी रहे एडुआद्रो स्वेरिन, डस्टिन मस्कोविट्ज़, क्रिस व्हूजेज  को फेसबुक के सह-संस्थापक के रूप में जाना जाता है।

फेसबुक के विषय में उल्लेख करने से पहले हमें इसके संस्थापक के जीवन के सम्बन्ध में कुछ जानकारी देनी आवश्यक है।

मार्क एलियट जुकरबर्ग का जन्म 14 मई 1984 को न्यूयॉर्क में एक यहूदी परिवार में हुआ था। जुकरबर्ग की धर्म के प्रति कोई आस्था नही थी, वे नास्तिक प्रवृति के हैं। इनके पिता का नाम एडवर्ड जुकरबर्ग है तथा माता का नाम कैरेन केम्परेन् है। इनकी पत्नी का नाम प्रिसिला चेन है। इनकी बचपन से ही कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग में विशेष रूचि थी। इसी रूचि के फलस्वरूप इन्होनें फेसबुक बनाई थी।

फेसबुक का उपयोग व उपयोगिता:

फेसबुक उपयोग करने के क्रम में प्रथम कार्य खाता बनाने का होता है। इसके बाद अपनी फेसबुक प्रोफाइल तैयार करने हेतु निजी ब्यौरा देना होता है। प्रोफाइल हेतु अनेक विकल्प दिए होते हैं, जिसमें नाम, शहर, राज्य, फोटो, अध्ययन सम्बन्धी ब्यौरा, जन्मतिथि, कार्यक्षेत्र, नौकरी या व्यवसाय। इसमें से सभी विकल्पों को भरना अनिवार्य नही होता है, परन्तु सभी को रिक्त नही रखा जा सकता, क्योंकि कुछ विकल्प प्रोफाइल निर्माण हेतु आवश्यक व अनिवार्य होते है। इस प्रोफाइल के जरिये ही फेसबुक पर हम अन्य व्यक्तियों को ढूंढ सकते हैं तथा अन्य व्यक्ति हमें ढूंढ सकते हैं तथा फेसबुक मित्र बन सकते हैं।

फेसबुक पर समूह निर्माण की भी सुविधा उपलब्ध होती है। इसमें बहुत से लोगों का जुड़ाव होता है। यह समूह विद्यालय या कॉलेज या ज्ञान सम्बन्धी विषय का या हास्य या व्यवसाय या धर्म अर्थात् किसी भी प्रकार का समूह हो सकता है, जिसमें एकता रखने वाले लोगों को जोड़ा जाता है। इसमें जुड़ने के लिए व्यक्ति को आमंत्रण भेजा जाता है। वह स्वेच्छा से स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है। इसी के साथ स्वीकार करने के बाद चाहे तो स्वीकृति रद्द भी जा सकती है। इस प्रकार समूह के जरिये भी श्रंखलाबद्ध रूप से लोग आपस में जुड़ते रहते हैं।

फेसबुक पर कोई भी फोटो या अपनी फोटो डालना व शेयर करना, स्टेटस अपलोड करना जैसे हम कुछ विशेष कर रहे हैं या कहीं जा रहे हैं; सम्बन्धी जानकारी को अपने फेसबुक मित्रों के साथ बाँटना आदि सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं।

इसके अतिरिक्त फेसबुक पर स्वयं का पेज बनाने की भी व्यवस्था है। जैसे अपनी व्यैक्तिक कला सम्बन्धी प्रदर्शन करने के लिए या अपने किसी व्यवसाय या कार्य का विज्ञापन करने के लिए पेज बनाकर प्रस्तुतिकरण किया जाता है तथा फेसबुक पर लोगों को अपने पेज को पसन्द करने के लिए आमन्त्रित किया जाता है।

सुरक्षा विकल्प:

इन सब के अलावा फेसबुक उपयोगकर्ता के लिए सुरक्षा सम्बन्धी विकल्प भी दिए होते हैं, जिनमें उपयोगकर्ता अपनी व्यक्तिगत सूचना, फोटो, स्टेटस आदि को अनजान लोगों से छुपाने के लिए व कमेंट पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए ऐसे विकल्पों का चयन कर सकता है।

यदि उपयोगकर्ता किसी व्यक्ति के द्वारा फेसबुक पर सन्देश भेजने या अन्य किसी भी कारण से कोई परेशानी का अनुभव करता है तो इसमें ब्लॉकिंग का भी विकल्प होता है। इसमें ब्लॉक कर दिए जाने के बाद वह व्यक्ति फेसबुक की प्रोफाइल खोलने व सन्देश भेजने में असमर्थ हो जाता है।

फेसबुक के दुष्परिणाम या दुष्प्रभाव:

चूँकि फेसबुक इंटरनेट के द्वारा चलित एप है, तो सम्भवतः इंटरनेट के कारण बहुत से दुष्प्रयोग किये जा रहे हैं। कुछ लोगों द्वारा जानबूझकर लोगों से जुड़ने के लिए या परेशान करने के लिए अपनी असली पहचान उजागर न करते हुए नकली फेसबुक प्रोफाइल बनाई जाती है, जिसे फेक आई डी कहते हैं।

जातिगत भेदभाव को बढ़ावा देने के लिए फेसबुक पर जाति सम्बन्धी फोटो डाली जाती है, टिप्पणियाँ की जाती है तथा समूह बनाये जाते हैं, जिनसे जातिगत हिंसा को बढ़ावा मिलता है।

धर्म सम्बन्धी चर्चा हेतु बनाये गए समूह व धार्मिक भेदभाव को प्रदर्शित करने वाली फ़ोटो के द्वारा अभिन्न धर्मों के लोगों के मध्य आपसी रंजिश पैदा होती है। 

इसी प्रकार फेसबुक के माध्यम से ओर भी कई प्रकार के व्यक्तिगत विषयों पर हो रही चर्चा से आपसी मतभेद उत्पन्न होता है। कुछ रहस्य के रूप में रखी जाने वाली कुछ बातें सार्वजनिक हो जाने से झगड़े के कारण पैदा होते हैं|