कैसे बनता है ज्वालामुखी एवं कैसे होता है, उनमे विस्फोट? Volcano in Hindi

क्या है ज्वालामुखी (volcano)?

पृथ्वी की सतह पर पहाड़ के रूप में उपस्थित आकृति को ज्वालामुखी कहा जाता है, जिसमे अत्यंत ऊर्जा का समावेश होता है एवं इसके ऊपरी सतह पर एक मुख के जैसे दरार पाई जाती है, एवं सक्रिय होने पर इससे गर्म लावा भीषण अग्नि के रूप में बाहर निकलता है|

हर साल ज्वालामुखी में होने वाले विस्फोट भयंकर तबाही का रूप ले लेते है एवं आसपास रहने वालो के लिए परेशानी का कारण बनते है| आज हम यहाँ ज्वालामुखी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी का विस्तारपूर्वक वर्णन करेंगे जिससे आप इसके बारे में गहराई से जान पाएंगे|

कैसे बनता है ज्वालामुखी पर्वत?

पृथ्वी की निचली परत में बहुत अधिक मात्रा में जियोथर्मल ऊर्जा दबी हुई अवस्था में मौजूद रहती है, किन्तु समय आने पर यह ऊर्जा विस्फोट के रूप में बाहर निकलती है जिससे पहाड़ का मुख बनता है एवं यह फट जाता है|

ज्वालामुखी अंतर्जनित गतिविधि है, यदि विस्फोट थोडा कम या हल्का होगा तो वहां पठार का निर्माण होगा और यदि विस्फोट भारी हुआ तो ऊँचे पहाड़ों का निर्माण होता है|

मैग्मा एवं लावा:

पृथ्वी की सतह के नीचे पिघले हुए पत्थर एवं गैसों के मिश्रण को मैग्मा कहा जाता है, एवं जब यह मैग्मा विस्फोट के द्वारा ज्वालामुखी से बाहर निकलता है तो इसे लावा कहते है|

अधिकांशत: मैग्मा पृथ्वी की सबसे कमजोर परत Asthenosphere में पाया जाता है| मैग्मा के ज्वालामुखी से बाहर आने पर इसके साथ गर्म राख एवं विषैली गैसे निकलती है| कई बार जमीन विस्फोट के कारण जोर से हिलती है जिससे भूस्खलन हो जाता है एवं बाढ़ जैसे हालात बन जाते है|

ज्वालामुखी के प्रकार:

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पृथ्वी का अधिकतर भू भाग ज्वालामुखी से निकले लावे के जमने से निर्मित हुआ है| इससे निकलने वाली गैसों से वायुमंडल बना एवं समुंद्र तलों का निर्माण हुआ|

ज्वालामुखी की सक्रियता एवं अन्य पहलुओं के आधार पर इसे चार भागों में विभाजित किया गया है, जो इस प्रकार है:-

शील्ड ज्वालामुखी (shield Volcano):

इस श्रेणी के ज्वालामुखी आग्नेय पत्थर या बेसाल्ट से बनकर निर्मित होते है एवं बाद में ऊष्मा के कारण द्रव्य के रूप में परिवर्तित हो जाते है| इनका विस्तार दूर तक फैला होता है किन्तु ढलान में कम होते है|

इनमे frozen या जमा हुआ लावा पाया जाता है एवं हवाई द्वीपों पर अधिकतर इनका निर्माण होता है| विस्फोट के दौरान गर्म लावा बहुत दूर तक एवं बहुत ऊंचाई तक उछलता है|

राख या शंकु ज्वालामुखी (Cinder Cone):

इस प्रकार के ज्वालामुखी के भीतर ज्वलनशील प्रव्रति के छोटे-छोटे आकार के पत्थर पाए जाते है| इनकी ढलान काफी तीव्र होती है, एवं राख की मात्रा भी अधिक पाई जाती है|

इस प्रकार के ज्वालामुखी का आकार छोटा होता है एवं यह भयंकर उत्पात नहीं मचाते|

संयुक्त ज्वालामुखी (Composite Volcano):

इस प्रकार के ज्वालामुखी की ढलान मध्यम होती है एवं इनमे ऊपर की तरफ गड्डे पाए जाते है| इनके अंदर रेत, पत्थर, बजरी अभी मिश्रित मात्रा में पाए जाते है इसलिए इसे संयुक्त ज्वालामुखी कहा जाता है|

जब इनमे विस्फोट होता है तो ये पदार्थ बाहर आते है एवं ठोस होकर विभिन्न परतो के रूप में आसपास जम जाते है|

caldera ज्वालामुखी:

इस श्रेणी के ज्वालामुखी सबसे ज्यादा खतरनाक एवं विस्फोटक माने जाते है| जब इनमे विस्फोट होता है तो इनका मैग्मा चैम्बर का आकार काफी अधिक होता है| ये किसी सरंचना का निर्माण नहीं करते बल्कि विस्फोट के बाद एक ही जगह पर ढेर हो जाते है|

प्रशांत महासागर के चारों ओर ज्वालामुखी एक श्रंखला के रूप में विद्यमान है जिसे ‘रिंग ऑफ़ द फायर’ कहा जाता है|

ज्वालामुखी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य:

# अब तक दुनिया में 500 से अधिक ज्वालामुखी सक्रिय अवस्था में है जिसमे से अधिकांश हवाई द्वीप में स्थित है जिसमे से सबसे खतरनाक ज्वालामुखी मौना किया एवं मौना लोया है|

# दुनिया के कई इलाकों में ज्वालामुखी की पूजा की जाती है जिससे वह शांत रहे एवं कम से कम तबाही मचाये|

# ज्वालामुखी विस्फोट की तीव्रता का पता लगाने के लिए इंडेक्स का अविष्कार 1982 में कर लिया गया था जिसके अंतर्गत 0 से 8 तक का स्केल रखा गया जिसमे 2 स्केल तक का विस्फोट साधारण होता है किन्तु 3 का स्केल घातक माना जाता है|

# 4 से 5 स्केल के विस्फोट दशको में 1 बार होते है एवं 7 या 8 स्केल के विस्फोट से भयंकर तबाही होती है एवं सुनामी आ जाती है|

# ज्वालामुखी से कई प्रकार के कीमती धातु निकलते है जिन्हें बाद में एकत्रित कर लिया जाता है|

# भारत का एवं एशिया का सक्रिय ज्वालामुखी अंडमान निकोबार पर उपस्थित बैरन द्वीप पर स्थित है, जो 2005 में सक्रिय हुआ था|

# कई ज्वालामुखी सुप्त अवस्था में होते है जिनमे कभी विस्फोट नहीं होता किन्तु ये कभी भी जाग सकते है|

# विश्व का अब तक का सबसे ऊँचा एवं सक्रिय ज्वालामुखी ‘ओजस-डेल-सलाडो’ है, जो अर्जेंटीना में उपस्थित है एवं सबसे शांत रहने वाला ज्वालामुखी एकाकगुआ है|