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चुम्बक कैसे काम करता है?

बचपन में हम सभी कभी न कभी चुम्बक से ज़रूर खेले होंगे। एक लगभग जादूइ सा पदार्थ, जो बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के लोहे से चिपक जाता है। बड़े होते होते हम इसके कई जटिल और गंभीर उपयोग भी देखने लगते हैं। अनेकों विद्युत उपकरण चुम्बक के आकर्षण पर निर्भर करते हैं।

चिकित्सा इत्यादि के लिए भी चुम्बक का भरपूर इस्तेमाल किया जाता है। आइये जानते हैं, कि आखिर चुम्बक काम कैसे करता है ? वैज्ञानिकों का मानना है किसी चुंबक के गुणों को समझने के लिए पहले चुंबक की आणविक संरचना को समझना ज़रूरी है। चुंबकत्व, यानि चुम्बक का वह गुण जिससे वह लोहे की और आकर्षित होता है इलेक्ट्रकली चार्ज हुए कणों के कारण पैदा होता है।

वैसे तो सभी पदार्थों में अपना अपना चुंबकीय क्षेत्र होता है पर उन सब में ये अति सूक्ष्म चुम्बकीय क्षेत्र अलग अलग अणुओं के अनुसार अलग अलग दिशाओं में होते हैं। लेकिन चुम्बक में ये सभी चुम्बकीय क्षेत्र एक ही दिशा में संरेखित होते हैं। और इसी कारण चुंबक का चुंबकीय क्षेत्र अति शुद्ध और कहीं अधिक शक्तिशाली होता है। दुसरे शब्दों में हर पदार्थ के हर इलेक्ट्रॉन का एक चुंबकीय क्षेत्र होता है। लेकिन केवल चुम्बक में ही ये सभी सूक्ष्म चुम्बकीय क्षेत्र एक दिशा में आकर एक बन जाते हैं और तब एक अधिक शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड जिसे नेट मेग्नेटिक फील्ड भी कहते हैं, पैदा होता है।

भौतिक विज्ञान के पास वर्तमान समय में, चुंबकत्व को समझऩे हेतु दो स्पष्टीकरण हैं। विज्ञान के दो वाद चुम्बक में पाए जाने वाले चुंबकीय क्षेत्र के एक दिशा में संरेखित होने के कारणों को समझने का प्रयत्न करते हैं। परम्परागत या क्लासिकल भौतिकी के अनुसार चुंबकीय क्षेत्र पैदा ही इसलिए होता है क्योंकि चुंबकीय कणों के फैलने से उनकी ऊर्जा दूसरी चुंबकीय वस्तुओं को खींचती या धकेलती है। वहीं क्वांटम भौतिकी के मतानुसार इलेक्ट्रॉनों का पता लगाया ही नहीं जा सकता, क्योंकि ये मात्र आभासी कण होते हैं।

इन दो सिद्धांतों के आधार पर वैज्ञानिक यह समझने का प्रयास करते है की चुम्बक किस परिस्थिति में किस तरह व्यवहार करता है। लेकिन अभी तक विज्ञान के पास चुंबकत्व को पूरी तरह सैद्धांतिक रूप से समझने और प्रतिबिंबित करने का कोई तरीका नहीं है। विज्ञान अभी भी ये जान सकने में असमर्थ है के क्यों चुम्बक में हमेशा उत्तर और दक्षिण ही ध्रुव होते हैं? और क्यों केवल चुम्बक के ही कण एक दिशा में संरेखित होकर ये चुम्बकीय क्षेत्र पैदा कर पाते हैं। भविष्य में संभव है के शायद इसका कोई स्पष्टीकरण मिल ही जाये।

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