रेडियोएक्टिव पदार्थ क्या है?

एटॉमिक

प्रकृति में पाए जाने वाले पदार्थो में जब स्वयं विघटन होने के कारण उन में से जो विकिरण निकलती है, या किसी परमाणु में से अस्थिर विकिरण ऊर्जा के रूप में बाहर आती है, उस प्रक्रिया को रेडियोधर्मिता या रेडियोएक्टिव पदार्थ कहा जाता है |

रेडियोएक्टिविटी की प्रक्रिया के अंतर्गत अल्फ़ा कण, बीटा कण एवं गामा कणों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है| रेडियो एक्टिविटी की खोज सर्वप्रथम १८८६ में, ए. एच. बैकुरल ने की थी| कुछ समय बाद मैडम क्यूरी व् पियरे ने भी विभिन्न पदार्थो जैसे यूरेनियम, प्लूटोनियम आदि में रेडियोएक्टिविटी का पता लगाया था|

रेडियोएक्टिव पदार्थो के प्रभाव:

रेडियोएक्टिव पदार्थो के विघटन से घातक विकिरण निकलती है, जो पर्यावरण में रहने वाले सभी प्राणियों के लिए हानिकारक होती है| इसके कारण अनेक दुर्लभ एवं जटिल रोगों का प्रकटीकरण होता है, जो मनुष्य जगत के लिए चिंताजनक है| आइये इसके कुछ प्रभावों पर एक नजर डालते है:-

  • रेडियोएक्टिव पदार्थो के विस्फोट से अल्फ़ा प्रकार की किरन निकलती है, जिसे इतना हानिकारक नहीं माना गया, किन्तु कल्याणकारी भी नहीं कहा गया|
  • दूसरा इसमें बीटा कणों का प्रस्फुटन होता है, जिससे जीवो की त्वचा को खतरा हो सकता है|
  • तीसरी, गामा किरने जो कि सबसे ज्यादा हानिकारक मानी गई है, इसके कारण कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है, अगर ज्यादा मात्रा में विस्फोट हुआ तो जान को खतरा भी बना रहता है|

रेडियोएक्टिव पदार्थ मानव एवं पर्यावरण दोनों के लिए हितकर नहीं, अत: परमाणु स्यन्त्रो, परमाणु परीक्षण एवं अनुसन्धान को मानव बस्ती से बहुत दुरी पर किया जाना चहिये|