भारत की खोज

वास्को डा गामा

वास्को डिगामा ने भारत की खोज 1497-1498 में की। वास्को डिगामा ने केन्या में एक भारतीय समुद्री संचालक को किराया पर लिया जिसने अफ्रीका से भारत के कोज्हिकोड़े ( कालीकट ) तक का रास्ता बताया।

20 मई , 1498 को वास्को डिगामा भारत के कोजहिकोडे ( कालीकट ) पंहुचा।  वास्कोडिगामा पहला यूरोपियन था जिसने ऐसा किया। उसने दुनिया को समुद्र द्वारा भारत का रास्ता बताया।

वास्को डिगामा के चलते सबसे पहले पुर्तगाल ने गोवा पर अपना राज स्थापित किया। आज गोवा भारत का हिस्सा है। इसके बाद ही भारत से मसलो का कारोबार सुरु हुआ।

वास्को दे गामा  (1460s-1524), सिरका 2009

वास्को दे गामा को 1524 में भारत का गवर्नर बना दिया गया था। वास्को दे गामा के बारे में ज्यादा कुछ नही पता है लेकिन इतना पता है की वास्को दे गामा एस्तेवाओ दे गामा का तीसरा बेटा था जो। एस्तेवाओ दे गामा पुर्तगाल के सिंस प्रान्त के किले के कमांडर थे।

नौजवान वासको दे गामा नौसेना में भरती हो गये और यही से उन्होंने नेविगेट करने की शिक्षा हासिल की।

जब वास्को दे गामा कालीकट पंहुचा तो उसे लगा यहाँ पर भी सब क्रिस्चियन होंगे लेकिन कालीकट के लोग हिन्दू थे। और उन्होंने वास्को दे गामा का स्वागत किया। उस समय लोगो को अलग अलग धर्मो के बारे में नही पता था।

लेकिन भारत में मौजूद मुस्लमान व्यापारियों को वास्को दे गामा नही शोभा दे रहा था। वे नही चाहते थे की उनका व्यापर को उन्हें चीन ले। अगस्त 1498 में वास्को दे गामा वापस पुर्तगाल चला गया। लेकिन लौटते वक्त उसकी सामना मानसून से हुआ।

1499 तक स्कर्वी बीमारी के चलते उसके बहोत सारे आदमी मरे गये। और उसे अपनी एक जहाज भी जलानी पड़ी। उसके 170 आदमियों में से सिर्फ 54 ही जिन्दा बच पाए थे।

जब वास्को दे गामा लिस्बन पंहुचा तो उसका बहोत अच्छे से स्वागत किया गया। उसके पहुंचते ही पुर्तगाल ने अपनी दूसरी नौसेना भारत की ओर भेज दी जिसका कमांडर पेड्रो अल्वारेस कब्राल था। कब्राल बस 6  महीने में ही भारत पहुंच गया। कब्राल भारत पहुंचते ही मुस्लमान ब्यापारिओ के जहाज से भीड़ गया और उसने 600 लोगो का क़त्ल कर दिया।

इसके बाद उसने भारत में पुर्तगाल का व्यापारिक पोस्ट स्थापित किया।

1502 में वास्को दे गामा 20 जहाजों के साथ दुबारा भारत आया। वास्को दे गामा ने भारत आते वक्त बहोत लोगो का कत्लेआम किया।  वास्को दे गामा ने खोजी सदी का सबसे बड़ा कत्लेआम किया उसने , मुसलमानो के बन्दर गाह पर धावा बोल दिया और एक जहाज जो मक्का से लौट रहा था ,को जला दिया। जिसमे हज़ारो मुस्लमान जिन्दा जल गए और इसमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल थे।

कालीकट पहुंचने पर दे गामा ने 38 होस्टेज को मारा और ट्रेड पोस्ट को भी बर्बाद कर दिया। बाद में उसने एक भारतीय राजा से समझौता कर लिया।  आंत में फ़रवरी 1503 में वह दुबारा पुर्तगाल लौट गया।

1524 में पुर्तगाल के किंग जॉन III  ने  वास्को दे गामा को भारत का विसरॉय बना दिया गया। उसी साल उसकी कोचीन में मौत हो गए।  कहा जाता है की वह बहोत ज्यादा काम करने के कारन मारा गया।