घोड़े खड़े-खड़े क्यों सोते हैं?

पृथ्वी पर रहने वाले हर प्राणी के लिए भोजन और नींद बहुत जरूरी हैं। जहां भोजन से ऊर्जा मिलती है, वहीं नींद भी शरीर को तरोताजा रखने में सहायता प्रदान करती है। लेकिन बहुत से ऐसे विचित्र प्राणी है, जो अपनी इस नींद को भी अलग तरीके से पूरा करते हैं। इन विचित्र प्राणियों में से एक प्राणी घोड़ा भी है, जो कब सोता है पता ही नहीं चलता। तो क्या घोड़े सोते नहीं है? अगर सोते है तो कब और कैसे सोते है, आज हम आपको इसी विषय पर जानकारी देंगे।

दरअसल हर प्राणी की तरह घोड़े भी सोते है, लेकिन वे अपनी नींद खड़े-खड़े ही पूरी करते है। इसके पीछे बहुत से ख़ास कारण हैं। दरअसल घोड़े के शरीर का वजन ज्यादा होता है और उन्हें उठने में समय लगता है। इसीलिए सुरक्षा की दृष्टि से घोड़े खड़े-खड़े नींद लेते हैं। साथ ही उनके शरीर की संरचना भी कुछ इस प्रकार की होती है कि वे खड़े-खड़े नींद निकाल सकते हैं। घोड़ों के पैर की हड्डियों की बनावट कुछ इस तरह कि है कि वे जब नींद पूरा करते है तो उनकी हड्डियाँ जम जाती है और वे गिरे बिना अपनी नींद पूरी कर लेते हैं।

साथ ही घोड़े सोते समय अपने किसी न किसी पैर को अन्य पैरों की तुलना में ज़मीन से थोड़ा ऊपर रखते हैं। ऐसा वो बारी-बारी से करते हैं। जिससे उनके किसी भी एक पैर पर किसी तरह का दबाव या वजन नहीं आता और उन्हें नींद पूरी करने में कोई परेशानी नहीं होती। घोड़ों के खड़े होकर नींद पूरी करने के पीछे उनके स्वास्थ्य से जुड़ा एक अन्य कारण भी हैं। दरअसल जब भी घोड़े पेट के बल सोते है तो उन्हें पेट पर वजन पड़ता है और वे पेट से संबंधित बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। यह पेट की बीमारी कभी-कभी घोड़ों की मौत का कारण भी बन जाती हैं। ऐसे में घोड़े ज्यादातर खड़े होकर नींद पूरी करते हैं।

अब आप सोच रहें होंगे कि कोई अपनी पूरी नींद खड़े होकर कैसे निकाल सकता हैं। तो आपको बता दे कि घोड़े रात और दिन मिलाकर कुल 3 या 4 घंटो की नींद ही लेते हैं। इतना ही नहीं उनकी यह नींद एक साथ नहीं पूरी होती। वे 10 या 20 मिनट की झपकी के रूप में अपनी नींद को पूरा करते हैं। घोड़ों की नींद से जुड़ी एक विशेष बात और हैं। दरअसल जब घोड़े अस्तबल या किसी सुरक्षित स्थान पर होते है तो वे आराम से पेट के बल लेटकर या बैठकर अपनी नींद पूरा करते हैं। लेकिन इस समय अस्तबल में उपस्थित कोई न कोई घोड़ा ज़रुर खड़ा होता हैं। इस प्रक्रिया को हर घोड़ा बारी-बारी से करता हैं।