उल्कापिंड किसे कहते हैं

उल्का पिंड

आसान शब्दों में कहे तो उल्कापिंड एक ब्रह्मांडीय पत्थर है जिसका आकार छोटे पत्थर से लेकर बड़े पहाड़ जैसा हो सकता है या फिर उससे भी बड़ा और यह ब्रह्माण्ड में विचरण करता है

रात में आपने कभी आकाश की तरफ देखा है की एक लम्बा सा तारा टूटता हुआ दिखाई देता है | अक्सर गर्मियों में जब आप चांदनी रात में आसमान को ताकते हैं तो शायद आपने देखा होगा, जब तारा टूटता है तो एक लम्बी सी लाइन बनती चली जाती है |और, इसको लेकर लोंगो में तरह- तरह की मान्यताएं और भ्रांतियां सुनने को मिलती है | और यहाँ तक एक मान्यता मानी गयी है की, जब तक तारा टूटता रहता है यानि की उसका प्रकाश दिखाई देता रहता है और लाइन दिखाई देती रहती है, उस मध्य में अगर कोई अपने कपडे, आँचल, रुमाल इत्यादि में से किसी पर भी एक गांठ लगाके एक मनोकामना करता है और उसी समय में खोल देतें है तो उनकी मनोकामना पूरी होती है |

कुछ लोगों का मानना है की ये आसमान में विचरण करती हुई आत्माएं है | और ये आत्माएं क्या करतीं है ? जब वह अपनी जगह बदलतीं है, किसी भी एक जगह से दूसरी जगह जातीं है तो वो चमकतीं है | इसके पीछे जो भी मान्यताएं और अस्थायें हों, मगर सत्य यह है की ये उल्काएं होती है, धूमकेतु होतें है | ये छोटे -बड़े आकाशीय पिंड होतें है, जो निरंतर सूर्य की परिकर्मा करतें रहतें है|

और जब कभी कोई पिंड, छोटा हो या बड़ा हो घूमते- घूमते पृथ्वी के पास आ जाता है तो , पृथ्वी की आकर्षण शक्ति यानि गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी की ओर खिंचने लगता है | गुर्त्वाकर्षण का जो नियम है उसके अनुसार एक निश्चित दूरी तक पृथ्वी इस बल के कारण अपने से दूर से गुजरती हुई वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है | और इस खिंचाव के कारण जो पिंड का जो वेग है, वो बहुत ज्यादा बढ़ने लगता है | और वेग इतना ज्यादा बढ़ जाता है की जैसे ही वह हमारे वायुमंडल में प्रवेश करता है तो घर्षण के कारण इसमें आग लग जाती है | और आग लगके उसमें से गैसें निकलने लगती है | और ये जलती हुई गैस प्रकाशवान हो जाती है | और उल्का की चमक दिखाई देतीं है | और कभी – कभी ये आकर में अत्यधिक बड़े होतें हैं और जलकर छोटे हो जातें है | और इनमेंसे अधिकतर पिंड वायुमंडल में प्रवेश करते ही नष्ट हो जातें है और छोटे भागों में विभाजित हो जातेंहै | और जो बहुत बड़े होतें है और जलने के बाद भी उनका कुछ हिस्सा बचा रहता है , वो धरती तक पहुँच जातें है | ये उल्का पिंड या धूमकेतु कहलातें है |