शुक्र ग्रह (Venus) के रोचक तथ्य

प्रेम और सौन्दर्य का प्रतीक माने जाने वाले शुक्र ग्रह को Venus नाम रोमन की पूजनीय देवी के नाम पर दिया गया है| सौरमंडल में इसे सूर्य से दूरी एवं इसके बड़े आकार के आधार पर छठा स्थान दिया गया है|

शुक्र को अवर ग्रह की श्रेणी में रखा गया है क्योंकी पृथ्वी से देखने पर यह सूर्य से ज्यादा दूर प्रतीत नहीं होता|

यहाँ हम शुक्र ग्रह से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों का वर्णन करेंगे परन्तु उससे पहले इसकी रुपरेखा को समझना अनिवार्य है|

रुपरेखा या The Profile of Venus:

ध्रुवीय विकास- 12,104 किमी.

सूर्य से दूरी- दस करोड़ बयासी लाख किमी.

उपलब्ध उपग्रह- एक भी नहीं

एक वर्ष- पृथ्वी के 224.7 दिनों के समान

वजन- 486732 अरब अरब किलोग्राम

भू-मध्य व्यास- 38,025 कि.मी.

Facts of Venus:

# शुक्र ग्रह पृथ्वी से काफी बातो में समान नजर आता है, जैसे कि इसका आकार, सरंचना, गुरुत्वाकर्षण बल इसलिए इसे पृथ्वी की सिस्टर भी कहा जाता है| दोनों का घनत्व एक जैसा है एवं क्रेटर की कमी है|

# शुक्र ग्रह का एक दिन पृथ्वी के एक साल से भी बड़ा होता है क्योंकी अपनी धुरी पर एक राउंड पूरा करने में शुक्र ग्रह को 243 दिन लगते है जो हमारे यहाँ साल से थोडा कम समय ही है एवं ये दिन सूर्य के चक्कर पूरा करने से भी अधिक है|

# शुक्र एक स्थलीय ग्रह है जो चारों तरफ से बादलों की मोटी परत से ढका हुआ है| सल्फ्यूरिक एसिड के ये बदल शुक्र को पूरी तरह आच्छादित किये हुए है जिससे इसकी सतह का पता नही लग पाता एवं तेज रफ्तार से हवाएं चलती है जिनकी गति कई बार 350 किमी. तक हो जाती है|

# पृथ्वी से समानता होने के कारण पहले ऐसा माना गया के यहाँ जीवन की सम्भावना हो सकती है किन्तु जब भेजे गये उपग्रहों ने यहाँ खोजबीन की तब पता लगा कि शुक्र पर जीवन का कोई नामोनिशान नहीं था न ही कभी सम्भव हो सकता है|

# शुक्र को सबसे गर्म ग्रह माना गया है क्योंकी इसका आसपास का बातावरण कार्बन डाई ऑक्साइड से निर्मित हुआ है जिससे ग्रीन हाउस गैसों का निर्माण होता है एवं सूर्य से आने वाली गर्मी से इसका तापमान 462 डिग्री c तक पहुच जाता है| वायुमंडल में इतने दबाव के कारण यहाँ जीवन सम्भव नहीं है इतना दबाव समुंद्र के 1 किमी. नीचे पाया जाता है|

# अब तक शुक्र पर 20 से अधिक यान भेजे जा चुके है एवं सबसे पहले रूस ने वेनिरा 1 मिशन को 1961 ई. में शुक्र पर भेजा किन्तु यह मिशन सफल नही हो सका| उसके बाद अमेरिका ने मेरिनर 1 को शुक्र पर भेजा पर वह भी सफल नहीं हुआ फिर मेरिनर 2 को भेजा गया जिससे काफी डाटा खोजने में सहायता मिली| अंत में रूस ने फिर से वेनिरा 3 को भेजा जो सतह तक जाने जाने वाला पहला यान बना| इसके पश्चात वेनेरा 4 ने शुक्र के चुम्बकीय फील्ड का पता लगाया जिसे पृथ्वी की तुलना में काफी कमजोर पाया गया|

# शुक्र पर कई जगह छोटे-छोटे गड्डे एक ही स्थान पर पाए गये है जिससे अनुमान लगाया गया कि टूटकर आने वाले उल्का पिंड शुक्र के गर्म वायुमंडल से टकराकर छोटे भागों में टूटकर इससे टकराए होगे|

# पहले रोमन एवं ग्रीक लोगों में यह मान्यता थी कि शुक्र एक नहीं बल्कि दो ग्रह है| किन्तु बाद में सच का पता लगने पर यह पाया गया की यह एक ही ग्रह है एवं आकाश में सबसे चमकने वाला ग्रह है इसलिए इसे एश्वर्य, वैभव, एवं प्यार का ग्रह माना गया एवं ज्योतिष शास्त्र में भी इसका काफी महत्व है|

# यूरोपियन एजेंसी ने 2006 में अपने भेजे गये space shuttle से शुक्र पर 1000 से अधिक ज्वालामुखीयों की खोज की जिसमे से कुछ एक ही सक्रिय अवस्था में है बाकी सब सुप्त है| इसके सबसे विशाल ज्वालामुखी का नाम Matt Mons है जो 5 मील तक ऊँचा है| इनसे निकलने वाले लावा के कारण शुक्र ग्रह का अधिकतम हिस्सा चट्टानी एवं चिकना है|

# प्राचीन समय में Babylonians शुक्र के द्वारा समय एवं तारीख का पता लगाया करते थे| अपनी असीम चमक के कारण इसे शुरू से ही “भोर का तारा” एवं “साँझ का तारा” कहकर पुकारा जाता है|

# शुक्र ग्रह अन्य सभी ग्रहों की विपरीत दिशा में गति एवं घूर्णन करने वाला इकलौता ग्रह है|