वीर छत्रपति शिवाजी Veer Chatrpati Shivaji

मराठा साम्राज्य की नीव रखने वाले भारत के महान सम्राटों में से एक नाम वीर शिवाजी का भी सम्मिलित किया गया है| इन्होने अपने समय में कई युद्ध किये एवं हर बार अपनी वीरता का परिचय देते हुए किसी के सामने घुटने नहीं टेके|

शिवाजी ने कई युद्ध प्रणालियाँ भी विकसित की, जो काफी प्रसिद्ध हुई एवं हिन्दू संस्कृति को नए आयाम दिए| आज हम वीर छत्रपति शिवाजी के विषय में विस्तारपूर्वक जानेंगें|

प्रारम्भिक जीवन:

शिवाजी का जन्म 1627 में पुणे के पास स्थित शिवनेरी दुर्ग में हुआ था| हालांकि कुछ इतिहासकार इनका जन्म 1630 में मानते है| इनके पिता का नाम शाहजी भोंसले एवं माता का नाम जीजाबाई था| इनका एक और बड़ा भाई जिसका नाम सम्भाजी था|

शिवाजी ने अपना बचपन का अधिक समय माता के साथ गुजारा एवं उनके बड़े भाई ने पिता के साथ| बचपन से ही शिवाजी वीर एवं साहसी थे और गुलामी एवं अपने से नीचे वर्ग के प्रति बुरा बर्ताव उन्हें बेचैन कर देता था|

शिवाजी ने सईबाई निम्बालकर के साथ 1640 में विवाह किया एवं उसके बाद उन्होंने 7 विवाह और किये, जो की मराठा राज्य को एकजुट करने के लिए किये गये थे|

कुछ इतिहासकार मानते है कि शिवाजी ने अपने समय में मुस्लिमो का विरोध किया, जबकि यह बात सत्य प्रतीत नहीं होती, क्योकि तथ्यों के अनुसार शिवाजी के राज्य में कई अच्छे मुस्लिम सेनानायक थे, जिनके साथ शिवाजी के उत्तम सम्बन्ध रहे|

शिवाजी ने 1674 में अपने राज्याभिषेक के दौरान ‘छत्रपति’ की उपाधि धारण की| शिवाजी ने सबसे पहले छापामार युद्ध पद्धति या गुर्रिल्ला युद्ध प्रणाली को विकसित किया|

किलों पर विजय प्राप्त करना:

शिवाजी के शासनकाल के समय बीजापुर मुगलों के आतंक से परेशान था एवं वहां का सुल्तान भी काफी क्रूर था, जिसका नाम आदिलशाह था| आदिलशाह की सेहत खराब होने पर शिवाजी ने मौके का लाभ उठाया एवं बीजापुर के किले रोहिदेश्वर दुर्ग पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया|

इसके बाद शिवाजी ने तोरणा दुर्ग जो कि यहाँ से 30 किमी. दूरी पर था, उसपर भी राजनितिक सूझ से अधिकार कर लिया| इसके बाद इन्होने राजगढ़ के किले पर अपना अधिकार कर लिया एवं शिवाजी के लगातार दुर्ग जीतने से आदिलशाह क्रोधित हो गया एवं उसने शिवाजी के पिता को बंधी बना लिया|

शिवाजी ने अपने आसपास के लगभग 23 किलों पर एकाधिकार कर लिया| शिवाजी के पिता को बंदी बनाये जाने के बाद शिवाजी को विवश किया किया गया कि वे बीजापुर के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाएंगे एवं उनके मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, जिसे मजबूरी में शिवाजी को मानना पड़ा|

मुगलों से टक्कर:

बीजापुर के साथ-साथ शिवाजी के कड़े दुश्मन थे मुग़ल| शिवाजी के समय औरंगजेब केवल एक सूबेदार था एवं आदिलशाह की मृत्यु के बाद औरंगजेब ने बीजापुर पर आक्रमण कर दिया एवं शिवाजी ने इससे खफा होकर औरंगजेब पर धावा बोल दिया, जिससे औरंगजेब नाराज हो गया क्योकि वह शिवाजी से मैत्री की उम्मीद रखता था|

अपने पिता शाहजहाँ के कहने पर औरंगजेब ने बीजापुर से संधि करना स्वीकार कर लिया, किन्तु जल्द ही उसने कूटनीति दिखाते हुए अपने ही पिता को बंदी बना लिया एवं स्वयं मुगल सिहांसन पर विराजमान हो गया|

शिवाजी ने जल्द ही कोंकण क्षेत्र पर अपना अधिकार जमाया एवं कई अन्य स्थानों को भी मराठा साम्राज्य में मिला लिया|

शिवाजी की बढती हुई शक्ति से औरंगजेब को चिंता होने लगी थी, इसलिए उसने दक्षिण में अपने मामा सूबेदार शाइस्ता खान को भेजा, जिसने वहाँ जाकर काफी लूट मचाई| शाइस्ता जल्दी ही अपने डेढ़ लाख सैनिको के साथ पूना पहुँच गया एवं चाकन व सुपन के किलों पर अपना अधिकार कर लिया|

शिवाजी को जब इस बात की सूचना मिली तो उन्होंने मावलों के साथ रात को शाइस्ता के कबीले पर हमला बोल दिया, जिसमे शाइस्ता किसी तरह बचकर भाग निकला, किन्तु उसकी 4 उंगलिया कट गई| इसके बाद औरंगजेब ने उसे वहाँ से हटाकर बंगाल का सूबेदार नियुक्त कर दिया|

मुगलों से संधि का प्रस्ताव भेजना:

शाइस्ता खान द्वारा 6 साल तक लूटपाट करने के बाद शिवाजी को धन का काफी नुकसान हुआ, जिसकी भरपाई करने के लिए शिवाजी ने धनी व्यापारियों को लूटना आरम्भ कर दिया|

उस समय सूरत समृद्ध नगर था, जो कि बन्दरगाह होने के कारण व्यापार का प्रमुख केंद्र भी था एवं शिवाजी ने यही से अपनी लूट की शुरुआत की जो 6 दिन तक चली|

शिवाजी की इस हरकत ने औरंगजेब को क्रोधित कर दिया एवं उसने नए सूबेदार गयासुद्दीन को सूरत में नियुक्त किया| औरंगजेब के आदेश पर राजा जयसिंह ने अन्य सामंतों के साथ मिलकर शिवाजी पर आक्रमण कर दिया, जिससे शिवाजी को काफी नुकसान उठाना पड़ा एवं उन्होंने मुगलों के पास संधि का प्रस्ताव भेजा|

यह संधि 1665 में की गई, जिसके अंतर्गत शिवाजी अपने 23 किले मुगलों को देंगे एवं 12 स्वंय रखेंगे| शिवाजी को हर वर्ष 5 लाख हूण राजस्व के रूप में मुगल खजाने में जमा करवाने होंगे|

शिवाजी मुगल दरबार से दूर रह सकते है, किन्तु उनके पुत्र शम्भाजी को मुगल दरबार की खिदमत में हमेशा उपस्थित रहना पड़ेगा|

संधि के अनुसार शिवाजी को हमेशा बीजापुर के किसी भी विरोध में मुगलों का साथ देना होगा|

शिवाजी की मृत्यु:

शिवाजी की मृत्यु विष दिए जाने के कारण 3 अप्रैल 1680 को हुई| शिवाजी की मृत्यु के बाद राज्य का कार्यभार उनके बड़े पुत्र शम्भाजी ने संभाला| शिवाजी की मृत्यु के बाद औरंगजेब ने मौके का फायदा उठाया एवं अपने 5 लाख सैनिको के साथ दक्षिण पर आक्रमण कर दिया|

शिवाजी से रंजिश के चलते औरंगजेब ने शम्भाजी को मार दिया एवं मराठा साम्राज्य के बचे हुए वंश को भी खत्म कर दिया|

निष्कर्ष:

शिवाजी को एक कुशल एवं साहसी राजा के रूप में देखा जाता है| कहते है कि मुगल सम्राट औरंगजेब भी शिवाजी की वीरता से डर गया था, इसलिए उसने उन्हें धोखे से मारने की योजना बनाई|

शिवाजी के समय आठ मंत्रियों की परिषद बनाई गई थी, जिसे अष्ठप्रधान कहा जाता था| इनके प्रधान मंत्री को पेशवा कहते थे, जिसका राजा के बाद दूसरा स्थान था| सेना के प्रधान को सेनापति कहते थे|

मराठा साम्राज्य कई भागों में विभक्त था एवं प्रत्येक प्रान्त में प्रान्तपति नियुक्त किया जाता था| ये प्रान्तपति प्रान्त से जुड़े हर मामले के लिए जिम्मेदार होते थे|