मूल मात्रक और मात्रक को समझाये

मात्रक ऐसा साधन है जिससे हम आसानी से किसी भी भौतिक राशि की मात्रा की गणना करने में उपयोग करतें है | या कहें की किसी भी भौतिक राशि को मापने के लिए मात्रक का इस्तेमाल होता है |

समान्यतया किसी भी राशि की मात्रा की गणना के लिए हमे दो चीजों की जानकरी होना जरूरी होता है –

१. मात्रक का ज्ञान :- भिन्न – भिन्न राशियों के लिये भिन्न – भिन्न मात्रक उपयोग किये जातें है | अतः हमे इस बात का ज्ञान होना जरूरी है की किस राशि के लिए कौन सा मात्रक इस्तेमाल होता है |

२. संख्यात्मक मान का ज्ञान :- अर्थात परिमाण का ज्ञान, हमे जानकारी होनी चाहिए की उस वस्तु का परिमाण क्या है |

उदाहरण के लिए – मान लीजिये आप ने सेव खरीदें है जिसका वजन २० किलोग्राम है, तो यहां पर किलोग्राम उस भौतिक राशि का मात्रक और २० उसका परिमाण अर्थात संख्यात्मक मान है , जो की यह बताता है की उस मात्रक की कितनी बार पुनरावृत्ति हुई है | जैसे की इस उदाहरण में मात्रक (किलोग्राम ) की २० बार पुनरावृत्ति हुई है|

मात्रक को इसके निर्माण के आधार पर दो वर्गों में विभाजित किया गया है –

१- मूल मात्रक

२-व्युत्पन्न मात्रक

मूल मात्रक:- मूल भौतिक राशियों के जो मात्रक होतें है उन्हें मूल मात्रक कहा जाता है | दुसरे रूप में कहें तो , ऐसे मात्रक जो सम्पूर्ण रूप से स्वतंत्र होतें है मूल मात्रक कहलाते है | अर्थात जो किसी भी मूल राशि या दूसरी राशि की सहायता से उत्पन्न नहीं होते हैं, ये Base Units या मात्रकों की वर्णमाला होते है |

तथा ऐसे मात्रक जो मूल मात्रकों से उत्पन्न होतें है , व्युत्पन्न मात्रक के नाम से जाने जातें है |

उदाहरणार्थ:- आयतन का मात्रक घन मीटर होता है | जिसे लम्बाई ,चौड़ाई , और ऊंचाई के मात्रक मीटर का उपयोग करके इसकी विमा में बदलाव करके नया मात्रक घन मीटर निर्मित होता है, जो की एक व्युत्पन्न मात्रक कहलाता है |

वैसे तो मात्रकों के लिए ४ पद्दतियाँ विद्दमान है परन्तु SI पद्दति सबसे ज्यादा मान्य है | यह मूल रूप से सात प्रकार के मूल मात्रक होतें है , परन्तु २ पूरक मूल मात्रक भी होतें है |

मूल राशियां और उनके मात्रक –

लम्बाई या दूरी का मूल मात्रक मीटर होता है |

द्रव्यमान का मूल मात्रक किग्रा. होता है|

समय का मूल मात्रक सेकेण्ड होता है |

ताप का मूल मात्रक कैल्विन होता है |

विद्युत धारा का मूल मात्रक ऐम्पियर होता है |

ज्योति तीव्रता का मूल मात्रक कैण्डला होता है

पदार्थ की मात्रा का मूल मात्रक मोल होता है है |

पूरक मूल मात्रक:-

तलीय कोण का मूल मात्रक रेडियन होता है |

घन कोण का मूल मात्रक स्टेरेडियन होता है |