ब्रह्मांड कैसे बना ?

ब्रह्मांड एक रहस्यमयी और विशाल दुनिया है। यह हमारी कल्पना से भी कहीं ज़्यादा विशाल है। हमारी पृथ्वी इस विशाल ब्रह्मांड का एक छोटा सा अंश है। इस ब्रह्मांड में सब कुछ है कहीं घोर अंधेरा है तो कई इतनी रोशनी है कि आंखें चौंधिया जाए। कहीं गर्मी तो कहीं कड़ाके की ठंड। कोई तारा सूर्य से भी ज़्यादा घनत्व वाला है तो वहीं कोई ग्रह बर्फ की तरह ठंडा है। यहां मात्र कुछ ही ग्रह ऐसे हैं जहां जीवन संभव है, वहीं अधिकतर ग्रह ऐसे भी है जहाँ समय के लिए भी जगह नहीं है। जब ब्रह्मांड की बात की जाए तो दो तरह के ब्रह्मण्ड का ज़िक्र किया जाता है। दृश्य ब्रह्मांड एवं अदृश्य ब्रह्मांड इन्हें इस तरह परिभाषित किया जा सकता है।

दृश्य ब्रह्मांड – दृश्य ब्रह्मांड वो ब्रह्मांड है जिसे हम खुली आँखों से देख सकते हैं। यह ब्रह्मांड बिग के शुरुआती रॉ मटेरियल से हुआ है। इसमें आप ग्रह, गति, तारों, प्रकाश, उल्का पिंडों, गैलेक्सी, निहारिका, गुरुत्वाकर्षण को रखा जाता है।

अदृश्य ब्रह्मांड – अदृश्य ब्रह्मांड वो ब्रह्मांड है जो हमारी सोच से भी बाहर है। इसे आप एक अज्ञात जगह भी कह सकते हो। दृश्य ब्रह्मांड की सीमा के बाहर एक ब्रह्मांड और है जिसे अदृश्य ब्रह्मांड कहा जाता है। अब इस ब्रह्मांड में क्या है और क्या नहीं है, इसके बारे में तो कोई नही जानता। लेकिन दृश्य ब्रह्मांड के बारे में वैज्ञानिकों ने काफी हद तक शौध कर लिया है। इसलिए आज हम दृश्य ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में ही चर्चा करेंगे।

अगर धरती की दूरी मापने के लिए किलोमीटर इकाई का प्रयोग करते हैं। उसी तरह ब्रह्मांड की दूरी मापने के लिए प्रकाश वर्ष इकाई का उपयोग किया जाता है। जिस तरह 1000 मीटर मिलकर एक किलोमीटर बनाते हैं उसी तरह 9,500,000,000,000 किलोमीटर मिलकर एक प्रकाशवर्ष बनाते हैं। ब्रह्मांड की उत्पत्ति हम बिग बैंग थ्योरी की माध्यम से समझ सकते हैं।

बिग बैंग थ्योरी – आज से लगभग 13.5 अरब साल पहले की उस घटना को बिग बैंग थ्योरी में अंकित किया गया है जब ब्रह्मांड में उपस्थित सभी अणु परमाणु एक दूसरे के निकट स्थित इतने निकट की मानो यह विशाल ब्रह्मांड एक बिंदु में सीमित हो कर रह गया हो। यह बिंदु उस वक्त काफी गर्म हुआ करता था। भौतिक विज्ञान के सारे नियम उस वक्त लागू नहीं होते थे, यह ब्रह्मांड की अवस्था थी जहां न अंतरिक्ष अस्तित्व में आया था और न ही समय। मगर उस वक्त अचानक एक भयंकर विस्फोट हुआ और इसी विस्फोट के कारण ही ब्रह्मण्ड की रचना हो सकी। इस विस्फोट के बाद शुरू होने लगा ब्रह्मांड का विस्तार। इस विस्फोट को ही बिग बैंग कहा जाता है इसी के कारण ब्रह्मांड के सम्पूर्ण पदार्थ एवं परमाणु एक दूसरे से दूर जाने लगे।

जिस समय यह विस्फोट हुआ उस वक्त ब्रह्मांड का तापमान इतना ज़्यादा था कि इसका आंकलन भी कर पाना संभव नहीं है। इस महावोस्फोट के बाद हुए एक माइक्रो सेकंड को खाली समय कहा गया है। इस माइक्रो सेकंड में धरती का तापमान अचानक तेज़ी से नीचे गिरने लगा। एक माइक्रो सेकंड के पूरे होने तक ब्रह्मांड 10 हज़ार अरब तक हो गया। यह वह अवस्था थी जब ब्रह्मांड में उपस्थित प्रत्येक कण गतिमान हो चुका था। पदार्थों की इसी अवस्था को ग्लुओंन प्लाज्मा कहा जाता है। ब्रह्मांड का विस्तार होता रहा और उसके तापमान में गिरावट होती रही। इस महाविस्फोट के बाद लगभग 380000 सालों तक प्लाज़्मा का विकास चलता रहा इस 380000 सालों को डार्क टाइम भी कहा जाता है क्योंकि माना जाता है इस वक्त ब्रह्मण्ड में बिल्कुल भी रोशनी नहीं थी।

हालांकि यह सामान्य सी अवधारणा है कि किसी भी विस्फोट के बाद तेज़ रोशनी होती है। मगर जिस वक्त बिग बैंग विस्फोट हुआ उस वक्त अत्यधिक गर्मी होने के बावजूद भी घना अंधेरा था। जिसके पीछे कारण यह बताया जाता है कि उस वक्त तक अणु का निर्माण नहीं हो पाया था और अणु के बिना रोशनी उत्पन्न नहीं हो सकती। लगभग 38,000 साल इस ब्रह्मांड ने अंधेरे में व्यतीत किये जिस दौरान ब्रह्मांड के विकास का कार्य चलता रहा। इसी काले समय में ही ब्रह्मांड की प्लाज्मा स्थिति में न्यूट्रॉन और प्रोटॉन मिलने लगे, इन दोनों के मिलने से ही ब्रह्मांड को पहला अणु मिला जिसे हाइड्रोजन कहा जाता है।

अगर देखा जाए तो हाइड्रोजन ने ब्रह्मांड को उत्पत्ति में एक अहम किरदार निभाया है। क्योंकि गुरुत्वकर्षण बल के कारण हाइड्रोजन से हीलियम के अणु बनने लगे। और इन्हीं अणुओं ने ब्रह्मांड को पहला तारा दिया, और इसी तरह अन्य तारों की भी उत्पत्ति हुई। इन्हीं टिमटिमाते तारों ने महाविस्फोट के लगभग 4 लाख साल बाद ब्रह्मांड को रोशन किया।

बिग बैंग के अन्य मटेरियल से कई अणुओं का निर्माण हुआ और इन्हीं अणुओं ने मिलकर ग्रह, नक्षत्र, धूमकेतु एवं आकाशीय पिंडों का निर्माण किया। लगभग 8 लाख सालों तक प्रलय और निर्माण का खेल चलता रहा। और 4.5 अरब साल पहले इसी प्रलय और निर्माण की घटना ने हमारे सौरमंडल को जन्म दिया, इसी सौरमंडल का पृथ्वी भी एक अंश है।

4.5 अरब साल पहले एक लंबी मगर सतत चलने वाली प्रक्रिया ने ही पृथ्वी और सौरमंडल का निर्माण किया। पृथ्वी के जन्म के समय यह दहकता हुआ एक आग का गोला था जहां ज्वालामुखी के सिवाय कुछ नहीं था। यह वह दौर था जब पृथ्वी पर मात्र 8 घंटे का ही दिन हुआ करता था और इस वक्त पृथ्वी अपने अक्ष पर इतनी तेज गति से घूमती थी कि आंकलन ही नहीं किया जा सकता। उस दौरान पृथ्वी ने पानी की कल्पना भी नहीं कि थी। मगर वातावरण में भाप होने के कारण वातावरण में पाने के कुछ तत्व बने। पृथ्वी अब धीरे-धीरे ठंडी होने लगी थी, और भाष्प के कारण पृथ्वी पर बारिश होने लगी थी। इसी बारिश ने पृथ्वी पर नदी, तालाब, समुद्र जैसे जलाशयों का निर्माण होने लगा।

3.5 अरब साल के लंबे काल चक्र के बाद पृथ्वी पर हाइड्रोजन, ऑक्सीजन एवं कॉर्बन जैसे जीवनदायनी तत्वों का निर्माण होने लगा। इसी ने पृथ्वी पर जीवन की हलचल पैदा की इसी हलचल ने पृथ्वी को पहले एक कोशिकीय जीव दिए जिसे अमीबा एवं पैरामिशियम कहा गया। अणुओं के सतत प्रक्रिया के विकास से ही एक कोशिकीय जीवों के बाद बहुकोशिकीय जीवों का निर्माण हुआ और इस तरह पृथ्वी पर जीवों का अस्तित्व सामने आया।

वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी जैसे ब्रह्मण्ड में अन्य ग्रह भी होंगे जिन पर जीवन संभव हो सकता है। वहीं इस मत को भी अस्वीकारा नहीं जा सकता कि हो सकता है ब्रह्मांड के किसी ग्रह पर जीव रहते भी हो। जो हमसे ज़्यादा बुद्धिमान, समृद्ध एवं शक्तिशाली हो। मगर ब्रह्मण्ड के बारे में आंकलन ही किया जा सकता है। कोई भी प्रामाणिक रूप से कोई बात नहीं कह सकता। ब्रह्मण्ड अनंत है। ब्रह्मण्ड का एक नियम है “जो बना है वो मिटेगा।” इसी नियम से कहा जा सकता है, ब्रह्मण्ड का भी विनाश निश्चित है।