बधिर यंत्र कैसे काम करता है

deaf monkey

बधिर यंत्र उन लोगो के लिये है जिन्हे उंचा सुनाई देता है और इस यंत्र को लगाने से उन्हे सुनने मे राहत मिलती है। इस यंत्र के तीन भाग है -माईक्रोफोन, ध्वनि विस्तारक और एक स्पीकर। उंचा सुनने के पीछे मुख्य वजह है सूछ्म कोशिकाओं का छतिग्रस्त हो जाना।

माईक्रोफोन इन कोशिकाओं तक आवाज को पहुचांता है जो कि ध्वनि विस्तारक की सहायता से ध्वनि तरंग की छ्मता को बढाती है और स्पीकर के द्वारा तरंगो को कान तक पहुचाती है जो आखिर मे तंत्र प्रणाली के द्वारा मष्तिस्क को आवाज पहुचांती है।

इससे एक बधिर व्यक्ति शोर और शांति दोनो मे ही अच्छे तरीके से बातों को सुन सकता है और लोगो से सम्पर्क कर सकता है। इस यंत्र को कान के पीछे अथवा अंदर लगाया जाता है। यंत्र की खासियत यह है कि इसे हर कोटि के बधिर सुन सकते है चाहे वे कम या बहुत कम सुन पाते है। क्यूंकि इस यंत्र में अहम भुमिका ध्वनि विस्तारक की है जिसे बधिरता के स्तर के अनुसार से नियंत्रित किया जाता है।

इसका मतलब कान की ग्रहणशील बाल कोशिकाओं को जितनी ज्यादा छति पहुंचती है, उतने बड़े विस्तारक को यंत्र मे लगाया जाता है ताकि बधिर आसानी से आवाज़ों को सुन सके। पर अगर कोशिकायें नब्बे प्रतिशत से ज्यादा छतिग्रस्त है तो इन यंत्रों का कोई फर्क कानों पर नहीं पड़ेगा।

बधिर यंत्र दो तरह के होते है- अनुरूपी और डिजिटल, जिसमे डिजिटल यंत्र अपनी अतिरिक्त विशषताओं के वजह से ज्यादा चल पड़े है क्युंकि इसमे कुछ आवृतियों का विस्तार औरों की अपेछा ज्यादा होता है ताकि एक बधिर विभिन्न हालातों मे बातों को सटीक और स्पष्ट सुना जा सके।

बधिर यंत्र हर उम्र के लोग इस्तेमाल कर सकते है क्योंकि इसकी बनावट मे विशेष ध्यान ध्वनि तरंगों के विस्तार पर दिया गया है।