पाउडर से कैंसर का ख़तरा: सच या झूठ? Powder in Hindi

पाउडर एक ऐसा उत्पाद है जिसका प्रयोग कुछ लोगों द्वारा भिन्न-भिन्न उद्देश्यों के लिए प्रतिदिन किया जाता है। बच्चों के लिए पाउडर का इस्तेमाल पसीने को रोकने के लिए व खुशबूदार बनाये रखने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त महिलाओं द्वारा नहाने के बाद जननांगो में सूखापन बनाये रखने के लिये पाउडर उपयोग किया जाता है। सौंदर्य बढ़ाने के लिए भी चेहरे पर मेकअप करते हुए पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे रंगत में निखार दिखाई देता है तथा गोरापन अधिक लगता है।

इनसे परे क्या कभी आपने विचार किया है कि पाउडर के इस्तेमाल से कैंसर जैसा जानलेवा रोग भी हो सकता है? जवाब होगा “नही”। पाउडर लगाते हुए इतनी गहराई से तो कोई भी नही सोचता कि हम शायद अपने शरीर में कैंसर के बीज बो रहें हैं।

आइये आज हम आपको इस विषय से जुड़े कुछ मामलों से अवगत करवाते हैं। 

सबसे पहले यह जान लेना आवश्यक है कि आखिर पाउडर में ऐसा क्या है जो कैंसर होने की वजह बनता है।

यहाँ हम बताना चाहते हैं कि पाउडर बनाने के लिए जिन सहउत्पादों का प्रयोग किया जाता है, उनमे से एक उत्पाद है- अभ्रक। अभ्रक में एस्बेस्टस नामक एक तत्व पाया जाता है, जिसका शरीर के सम्पर्क में होना कैंसर का कारण भी बन सकता है।

कुछ समय पहले ही बच्चों के लिए उत्पाद बनाने वाली सुप्रसिद्ध विदेशी कम्पनी “जॉन्सन एन्ड जॉन्सन” का मामला काफी चर्चा में रहा था। जिसमें अमेरिका की एक महिला द्वारा वाद प्रस्तुत किया गया कि जॉन्सन एन्ड जॉन्सन पाउडर के इस्तेमाल से वह गर्भाशय के कैंसर से ग्रस्त हो गयी। मामला अदालत में जाने के बाद इस कम्पनी को 27 अरब का हर्जाना पीड़ित को देने के आदेश दिए गए, जिसपर बाद में रोक लगा दी गयी। इसके बाद बहुत सी महिलाओं द्वारा पाउडर के इस्तेमाल से कैंसर होने के कई मामले सामने आये।

अतः इस प्रकार के मामले सामने आने से एक डर पैदा हो जाता है। पाउडर का अधिक इस्तेमाल करने वाले लोगों के लिए गम्भीर समस्या खड़ी हो जाती है कि कहीं यह सौंदर्य प्रसाधन जानलेवा न बन जाये।

पाउडर के निर्माण में प्रयुक्त होने वाले उत्पादों में मैग्नीशियम ऑक्साइड, सिलिकॉन डाई ऑक्साइड, एल्युमिनियम ऑक्साइड, आयरन ऑक्साइड, जिंक ऑक्साइड, बेंजोइन, केल्शियम कार्बोनेट, ऑर्गेनिक तेल आदि रसायनों का योगदान रहता है। 

सभी कम्पनियों की पाउडर निर्माण की प्रक्रिया एक जैसी होना आवश्यक नही है, यह भिन्न-भिन्न हो सकती है। जहाँ एक कम्पनी अपने पाउडर के निर्माण में किसी तत्व विशेष का अधिकता से प्रयोग कर सकती है, जबकि वहीं दूसरी कम्पनी द्वारा उस तत्व का प्रयोग कम मात्रा में किया जाना भी सम्भव है। अतः यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि कुछ कम्पनियों द्वारा पाउडर बनाने के लिए कम एस्बेस्टस वाली अभ्रक का इस्तेमाल किया जा सकता है और कुछ अधिक एस्बेस्टस युक्त अभ्रक का भी इस्तेमाल करती होंगी, जबकि इसी के विपरीत कुछ पाउडर निर्माताओं द्वारा यह भी दावे किये जाते हैं कि एस्बेस्टस का इस्तेमाल किये बिना ही पाउडर बनाया जाता है।

अब हम कुछ जाँचों व शोध आधारित तथ्यों के बारे में आपको बताना चाहेंगे, जो पाउडर से कैंसर होने या न होने तथा इसके कारणों के बारे में जानने के सम्बन्ध में की गयी।

अंतर्राष्ट्रीय शोध संस्थानों द्वारा कि गयी जाँचों के आधार पर ये तथ्य सामने आये कि जननांगों पर पाउडर का अधिक उपयोग कैंसर होने का कारण पैदा कर सकता है।

इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के द्वारा टेल्कम पाउडर का उपयोग करने को कैंसर होने के कारणों की श्रेणी में रखा गया है।

कुछ चर्म रोग विशेषज्ञों द्वारा ये बात कही गयी कि सामान्यतः सभी पाउडर के निर्माण में अभ्रक का प्रयोग किया ही जाता है। इसमें एस्बेस्टस होने के कारण ये खतरनाक हो सकता है, क्योंकि एस्बेस्टस की असामान्य मात्रा के शरीर में जाने से कैंसर होता है।

कैंसर प्रिवेंशन कोलिज़न की माने तो पाउडर जैसे उत्पाद के उपयोग से कैंसर हो सकता है। दुनियाभर में प्रत्येक 10 में से 2 महिलायें रोज़ाना पाउडर का इस्तेमाल करती है। पाउडर न लगाने वाली महिलाओं की तुलना में पाउडर लगाने वाली महिलाओं को गर्भाशय कैंसर अधिक होता है। जो महिलायें गुप्तांगो में पसीने व बदबू से बचने के लिए पाउडर लगाती है, ऐसा करना कई बार घातक भी सिद्ध हो सकता है क्योंकि उनके जननांगो से पाउडर में पाये जाने वाले कैंसरकारी कण भीतर गर्भाशय तक पहुँच जाते हैं, जो कैंसर को न्यौता देते है|