जल संरक्षण की आवश्यकता ।Essay on water conservation in Hindi

जल को दूषित होने से बचाना, जल के अनावश्यक उपयोग पर नियंत्रण, जल के व्यर्थ होने पर रोकथाम और जल का उचित उपयोग व बचाव ही जल का संरक्षण है।

प्राचीन समय में जल की गुणवत्ता उचित स्तर की होती थी तथा जल प्रदूषण के स्त्रोत नही पाये जाते थे, परन्तु आज के समय में तकनीकी व औद्योगिक विकास के फलस्वरूप जल की गुणवत्ता में निरन्तर कमी आती जा रही है और जल का दोहन भी बुरे तरीके से हो रहा है। 

कुछ लोगों की अनदेखी व लापरवाही की आदत भी जल की बर्बादी कर रही है।

आज के समय में अंधाधुंध तरीके से जल की बर्बादी की जा रही है। शुद्ध पेयजल की मात्रा निरन्तर कम होती जा रही है। कई बड़े शहरों में तो हालात ऐसे हैं कि वहाँ लोगों को पीने योग्य पानी खरीदना पड़ रहा है, क्योंकि सड़कों पर लगे नल, कुओं, हैंडपम्प का पानी दूषित है व पीने योग्य नही है। नहरों व नदियों का जल स्तर भी घट रहा है और शुद्ध जल की मात्रा में गिरावट आ रही है।

एक अनुमान के अनुसार जब एक नल से बूँद टपकती रहती है तो गणना में एक मिनट में 30 बूँद गिरती है और एक साल में 46 हजार लीटर पानी की बर्बादी होती है।

यह अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति प्रतीत होती है। इस प्रकार आप जान सकते हैं कि जल की एक बूँद की भी कीमती होती है। 

यदि जल का बचाव व संरक्षण न हो, सुरक्षित न रखा जाए तो इससे कई संकट पैदा हो सकते हैं, जो अत्यन्त दुष्प्रभावी हो सकते हैं। 

आगे इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि जल का संरक्षण करने की आवश्यकता क्यों पड़ती है? 

क्यों अनिवार्य है जल सरंक्षण?

कृषि कार्य- अन्न का स्त्रोत कृषि कार्य पर भी निर्भर करता है। जल के दुरूपयोग के साथ  संरक्षण की अनदेखी हमारी कृषि पर भारी पड़ सकती है। यदि जल नही होगा तो खेती नही होगी और फसलों की पैदावार नही होगी। जल के अभाव में फसलें सूखकर नष्ट हो जायेगी। अब जरा सोच कर देखिये बिना अन्न के मनुष्य खायेगा क्या और कितने समय तक जीवित रहेगा। 

शारीरिक महत्व- जल को दूषित करना, पेयजल की बर्बादी, जल में अस्वच्छता पैदा होने से पीने योग्य पानी में कमी आएगी और गन्दे पानी के सेवन से शरीर में कई तरह के विकार उत्पन्न होते हैं। त्वचा सम्बन्धी, पेट के रोग, पाचन गड़बड़ी आदि हो जाते हैं। इस प्रकार मनुष्य को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए जल संरक्षण के लिए उचित प्रयास करते रहना चाहिए, ताकि वे स्वयं तथा उनकी भावी पीढ़ियों को जल अभाव में बुरी परिस्थितियों का सामना न करना पड़े। 

प्राकृतिक आपदाओं से बचाव- ग्लोबल वार्मिंग आज के समय में संकट का चर्चित विषय बना हुआ है। जल का संरक्षण न होने से ग्लोबल वार्मिंग के साथ-साथ अन्य संकट जैसे सूखा, वर्षा में कमी, तापमान में वृद्धि आदि अनेक आपदाएँ आ सकती है। ऐसी आपदाओं के परिणाम के बारे में बताने की तो आवश्यकता ही नही है, क्योंकि आप इनसे अनभिज्ञ तो नही हैं। 

इस प्रकार आप अनुमान लगा सकते हैं कि जल का संरक्षण करना हमारे लिए अत्यन्त आवश्यक है। यदि मानव जीवनकाल में विकास करना है तो प्रत्येक व्यक्ति को किसी न किसी माध्यम से जल संरक्षण का कार्य करना चाहिए। हमारे द्वारा किया गया जल का संरक्षण स्वयं का व आगे आने वाली नयी पीढ़ी के हित का भी संरक्षण सिद्ध होगा।

आज की गयी लापरवाही घातक हो सकती है। अतः जितना हो सके जल संरक्षण की युक्तियाँ अपनाई जानी चाहिए तथा दूसरों को भी जल संरक्षण के कार्य के लिए प्रेरित करना चाहिए। यह सुधार के पथ पर आगे ले जायेगा|