औद्योगिक क्रांति का अर्थ एवं प्रभाव Odhyogik Kranti ka Arth evn Mahatv

Illustrations of different retro transport. Balloons, zeppelin, machines and others. Hand drawn illustrations in steampunk air transport zeppelin and aircraft, dirigible and ballon vector

औद्योगिक क्रांति का अर्थ:

अठारवीं सदी के अंत होते-होते एवं उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में दुनिया के विभिन्न भागों में सामाजिक, आर्थिक, एवं तकनीकी रूप से काफी आधुनिक बदलाव आया जिसमें हाथों का काम अब मशीने करने लगी थी एवं आधुनिक अविष्कार अब रोजमर्रा का कार्यों को आसान करते जा रहे थे, इसी बदलाव या क्रांति को औद्योगिक क्रांति या Industrial Revolution के नाम से जाना जाता है|  

मुख्य रूप से औद्योगिक क्रांति का प्रारम्भ कपड़ा उद्योग के साथ हुआ जिसमे मशीने स्थापित की गई जो तीव्रता से कपड़ा बुनती थी एवं ये माल हाथों से बने माल की अपेक्षा सस्ता बिकता था|

वाष्प के इंजन का अविष्कार इसी युग की देन है, लोहा बनाने के कारखाने स्थापित किये गये, नित-नयी मशीनों एवं धातुओं का निर्माण होने लगा एवं देखते ही देखते यह क्रांति सम्पूर्ण यूरोप, अमेरिका में फ़ैल गई|

क्या थे उपनिवेश:

औद्योगिक क्रांति का आरम्भ इंग्लैंड से माना गया है क्योकि इंग्लैंड के पास सबसे ज्यादा कच्चा माल एवं उपनिवेश मौजूद थे और जाहिर भी है क्योकि ब्रिटेन ने लम्बे समय तक भारत पर राज किया एवं अपने माल में वृद्धि की|

उपनिवेश का अर्थ होता है, जब एक शक्तिशाली देश किसी अन्य देश या राज्य को अपने अधीन करके उसपर अधिकार कायम कर लेता है तब वह उस देश का उपनिवेश बन जाता है| अधीन देश की पूंजी को उसपर अधिकार करने वाला अपने हितो के हिसाब से इस्तेमाल कर सकता है| चूँकि उस समय फ्रांस एवं इंग्लैंड के पास सर्वाधिक उपनिवेश थे इसलिए यहाँ औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात तीव्रता से हुआ|

इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति के सूत्रपात के मुख्य कारण:

जिस समय औद्योगिक क्रांति की शुरुआत हुई उससे पहले विश्व में मंदी का दौर चल रहा था एवं दास प्रथा प्रचलित थी जिसमे मजदूरों से जानवरों के जैसे काम लिया जाता था| इंग्लैण्ड एक सम्पन्न देश था एवं हर तरह से अन्य देशों की तुलना में शक्तिशाली था|

उस समय समुंद्र पार व्यापर करने के लिए लकड़ी के जहाजों का इस्तेमाल किया जाता था अत: व्यापर को बढ़ाने के लिए इंग्लैण्ड एवं फ्रांस आतुर थे जिसने लोहे के जहाज एवं भाप के इंजन के अविष्कार को जन्म दिया|

इंग्लैण्ड में कोयले एवं लोहे व् अन्य धातुओं के असीमित भंडार थे जिससे यहाँ से क्रांति का आरम्भ होना अनिवार्य था|

इंग्लैण्ड व्यापर हेतु हमेशा यात्राएं करता था जिससे उसने अपने साथ कई उपनिवेश जोड़ लिए थे जिनसे पूंजी एवं कच्चा माल आसानी से प्राप्त किया जा सकता था|

इंग्लैण्ड ने बहुत ही कम समय में यूरोप, होलैंड, स्पेन, फ्रांस आदि के साथ सम्बन्ध स्थापित किये जिससे उसे अधिक संख्या में मजदूर एवं कच्चा माल मिलने लगा एवं मशीनों द्वारा उत्पादन करके अपने माल को वह यहाँ बेचकर मुनाफा कमाने लगा|

इंग्लैण्ड को देखकर अन्य देशों में प्रतिस्पर्धा उत्पन्न होने लगी एवं आधुनिक मशीनों के निर्माण में तीव्रता आने लगी जिससे अधिक से अधिक उत्पादन कम पूंजी में लाभ कमाकर किया जा सके|

कृषि के क्षेत्र में भी काफी बदलाव आया एवं इंग्लैण्ड ने आधुनिक मशीनों को बनाकर कृषको का कार्य आसान कर दिया|

इंग्लैण्ड ने अपने तैयार माल जैसे नील, कपड़ा, चायपत्ती, रुई, आदि को भारत एवं अन्य देशों में उच्च दामों पर बेचकर काफी मुनाफा कमाया|

औद्योगिक क्रांति के प्रभाव:

औद्योगिक क्रांति ने मानव जीवन पर काफी गहरा प्रभाव छोड़ा एवं विश्व का कोई कोना ऐसा नहीं था जो इस क्रांति से प्रभावित न हो| इसने श्रमिक वर्ग को मुक्ति मिली क्योकि अब मशीने हर कार्य को मानव से कही अधिक अच्छे ढंग से करती थी|

नये समाज का उदय हुआ एवं कई जगह आन्दोलन चले जिसमे मजदूर वर्ग अपनी पहचान बनाने के लिए आकुल था| औद्योगिक क्रांति के कारण औपनिवेशिक साम्राज्यवाद का जन्म हुआ एवं अंतर्राष्ट्रीय व्यापर को बढ़ावा मिला| इसके कुछ मुख्य प्रभाव इस प्रकार है:-

आर्थिक प्रभाव:

उत्पादन में बढ़ोतरी:

औद्योगिक क्रांति के अंतर्गत उत्पादन एव् मुनाफे में दुगनी तेजी से बढ़ोतरी हुई एवं इंग्लैण्ड एवं अन्य देश तेजी से अपनी अर्थव्यवस्था का स्तर उपर उठाने लगे| मशीनों के द्वारा हर कार्य तेजी से होने लगा एवं व्यापारिक क्रियाकलापों में तीव्रता आई|

बैंकिंग प्रणाली:

औद्योगिक क्रांति के चलते अब मुद्रा का लेंन-देन अधिक मात्रा में होने लगा जिसने बैंकिंग प्रणाली को आधुनिक किया एवं मुद्रा का स्वरूप बदला जिसमे कागज के नोटों का चलन बढने लगा एवं चेक एवं ड्राफ्ट का इस्तेमाल आम बात थी|  

शहरीकरण:

रोजगार की तलाश में अब लोग अपने गाँव को छोडकर बड़े शहरों की तरफ रुख करने लगे|

लघु उद्योग का नाश:

औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप लघु उद्योगों का नाश हो गया एवं काफी लोग बेरोजगार हो गये|

मुक्त ट्रेड की नीति:

मुक्त व्यापार की नीति को प्रोत्साहित किया जाने लगा कि कोई भी देश किसी भी देश के साथ व्यापार करने को स्वतंत्र है|

सामाजिक परिणाम:

जनसंख्या वृद्धि:

औद्योगिक क्रांति के कारण अब खाने-पीने की वस्तुए अच्छी बनने लगी एवं सस्ते में उपलब्ध होने लगी जिससे नवजात को सुविधा मिली एवं जनसंख्या बढने लगी|

नये वर्ग का जन्म:

इस क्रांति ने तीन नये वर्गों का उदय किया जिसमे पहले थे पूंजीपति, दूसरे थे मध्यम वर्ग जैसे इंजिनियर, निरीक्षक, ठेकेदार, एवं तीसरा वर्ग था मजदूर वर्ग जिसका सबसे अधिक शोषण किया जाता था|

नैतिक मूल्यों का हनन:

औद्योगिक क्रांति की हानि में से एक बात यह थी कि इससे मालिक एवं नौकर का सम्बन्ध काफी खराब होने लगा एवं श्रमिक वर्ग को काफी नीचा समझा जाता था|

कारखाने के श्रमिको से सारा दिन काम लिया जाता था एवं कई बार वे शराब एवं अन्य नशों का सहारा लेने लगे|

राजनितिक कारण:

धनी वर्ग अपने पैसे के जोर पर राजनीति में कदम रखने लगे एवं कानून को अपने हाथों की कठपुतली बना लिया अत: गरीब वर्ग और दबता गया एवं दीन-हीन हो गया|

औद्योगिक क्रांति के मुख्य अविष्कार:

कपड़े को तेजी से बुनने के लिए 1733 ई. में फ्लाइंग शटल मशीन का अविष्कार किया गया जिसे जॉन नामक व्यक्ति ने बनाया|

सूत काटने के लिए एक स्पिनिंग जेनी बनाई गई जिसे 1764 ई. में जेम्स नामक आविष्कारक ने बनाया| इसके द्वारा 8 लोगों का काम एक साथ किया जा सकता था|

हेनरी बेल नामक व्यक्ति ने 1812 ई. में स्टीमर का अविष्कार किया|

1846 ई में सिलाई मशीन का निर्माण किया गया| इसके अलावा पक्की सड़के, टेलीफ़ोन, बिजली की तारे आदि का निर्माण किया गया एवं मानव जीवन को और सुगम एवं सुविधापूर्ण बना दिया|